जावरा मंडी: व्यापारियों का माल प्लेटफॉर्म और किसानों की उपज नीचे

jaora mandi garlic

बारिश आ जाए और माल भीग जाए तो जिम्मेदार कौन

जावरा, अग्निपथ। कृषि उपज मंडी में कुछ व्यापारियों की मनमानी से लहसुन उत्पादक किसान के लिए भारी पड़ रही है। प्लेटफार्म पर किसानों की जगह व्यापारियों का माल पड़ा होने से किसान परेशान हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार प्रशासन कुंभकरण की भांति नींद में है।

दरअसल मंडी में हर शुक्रवार को लहसुन की नीलामी प्लेटफार्म पर होती है और बाकी दिन ट्रालियों में होती है। सप्ताह में एक ही दिन प्लेटफार्म पर लहसुन की नीलाम का कोई नियम नहीं है लेकिन व्यापारियों की मनमानी और मंडी प्रशासन के लचर रवैये के कारण ऐसे तुगलकी नियम चल रहे हैं। फिर भी किसान कुछ नहीं बोलता है और अपनी लहसुन को लाता है कि शुक्रवार को लहसुन प्लेटफार्म पर बिक जाएगी।

इसके बावजूद वहां जब आकर देखता है तो वह मायूस हो जाता है यह देखकर की सारे प्लेटफार्म तो माल से भरे हुए है लेकिऩ वह माल किसानों का नहीं व्यापारियों का होता है। हालात यह रहते हैं कि जिन प्लेटफॉर्म पर लहसुन की नीलामी होती है वह गुरुवार को दोपहर तक ही पूरा भर जाता है।

इसमें 70 प्रतिशत माल व्यापारियों और मात्र 30 फीसदी उपज किसानों की होती है। ऐसे में बाद में आने वाले किसान अगर प्लेटफार्म से नीचे उपज डाल दें और पानी आ जाए तो फसल को गीली होने से नहीं बचा सकता है। ऐसे में किसान अपनी फ़सल डाले तो कहा क्योंकि प्लेटफार्म पर तो किसानों का कम व्यापारियों का ज्यादा माल पड़ा हुआ है।

आखिर मंडी प्रशासन क्यों है खामोश

Jaora lahsun mandi
शेड वाले प्लेटफार्म पर व्यापारियों का माल रखा होने से किसान खुले में अपनी लहसुन रखने को मजबूर।

प्लेटफॉर्म पर किसानों की उपज रखने की जगह व्यापारियों ने ख़ुद का माल प्लेटफार्म पर डाल रख़ा है। इसकी जानकारी मंडी प्रशासन को भी है फिर भी किसानों की परेशानी को नजरअंदाज करना जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

यह कहना भी ग़लत नहीं है कि लहसुन मंडी के जिम्मेदारों को शायद सुर्खियों में रहने कि आदत पड़ गई है। किसानों कि हितैषी होने का दावा करने वाली भाजपा के जिम्मेदार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है जिसके कारण जिम्मेदार अधिकारी तो अपनी मस्ती में मस्त है और किसान परेशान है।

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