हम चुप रहेंगे ( 15 नवंबर 2021)

आदर्श ग्राम …

अपनी घमंडी मैडम को बहुत-बहुत बधाई। जिन्होंने आदर्श ग्राम की कल्पना को साकार किया है। इसीलिए अपुन भी ग्राम देखने पहुंच गये। ज्यादा दूर भी नहीं है। इंदौर रोड़ के चर्चित ढाबे (होटल) से सटा हुआ ग्राम है। पूरा ग्राम गुलाबी-गुलाबी नजर आ रहा है। केवल एक बुजुर्ग महिला का मकान गोबर से पुता है। मूल पुराना ग्राम आज भी गंदगी की समस्या से ग्रसित है। नालिया चौक है। स्ट्रीट लाइट अब 24 घंटे जलती रहती है। ग्राम की बालिकाएं, मीडिल के बाद शिक्षा से वंचित है। क्योंकि स्कूल ही नहीं है। कंट्रोल से घुन लगा गेहूं वितरित हो रहा है। कचरा संग्रहण के लिए बनाये गये नाडेप में कचरा फैकने में किसी की रूचि नहीं है। आदर्श ग्राम बनाने में 25 पेटी खर्च की चर्चा ग्राम में सुनाई दे रही है। बहरहाल कचरा गाड़ी आधे गांव में रोज आती है। जहां तक गुलाबी रंग किया गया है। फिर भी हम सबकुछ भूलकर, आदर्श ग्राम की बधाई देकर, आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सम्मान …

अपने तेल- मालिश वाले नेताजी का सम्मान हुआ है। अभी-अभी। उनको कुपोषण मिटाने में अमूल्य योगदान को लेकर सम्मानित किया गया है। हमारे तरफ से भी बधाई। मगर एक बात समझ नहीं आ रही है। आखिर, कुपोषण अभियान में उन्होंने ऐसा क्या कर दिया? आज भी कई कंट्रोलों पर खाद्यान्न का वितरण घटिया स्तर का हो रहा है। आदर्श ग्राम में ही गेहूं- चावल की क्वालिटी निम्न स्तर की है। जिसको खाकर, कुपोषण ही होना है। मिटना तो दूर की बात है। इसके बाद भी अगर, कुपोषण मिटाने अभियान में उनकी भूमिका बेहतर मानी जा रही है। तो इसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

जागरूक …

काश … हमारे शहर का हर नागरिक इतना जागरूक हो जाये। जैसा हमने शनिवार के दिन दोपहर 12 बजे बाद अपनी आखों से देखा। घटनास्थल देवासगेट चौराहा है। सामने लालबत्ती थी। तब यह नजारा देखने को मिला। एक वाहन एमपी02 एचसी 0181 दिखा। जिस पर आगे न्यायाधीश लिखा था। इस वाहन के ड्रायवर ने एमपी 09 सीसी 3890 वाहन को चक्कर मार दी। वाहन में बुजुर्ग महिला बैठी थी। ड्रायवर ने एतराज जताया। तो न्यायाधीश वाहन के ड्रायवर ने तेवर दिखा दिये। इस कदर तेवर दिखाये कि … लालबत्ती को क्रॉस कर गया। चौकी के पास वाहन रोका। हाथ के इशारे से मारूति के ड्रायवर को बुलाया। इधर मारूति के ड्रायवर ने वाहन तभी आगे बढ़ाया, जब हरी बत्ती हो गई। इसके बाद बीच चौराहे पर दोनों वाहन रूक गये। बहस शुरू हो गई। न्यायाधीश वाहन का ड्रायवर गलती मानने को तैयार नहीं था। बुजुर्ग महिला ने जब कहा कि … अपने मालिक से फोन पर बात कराओं। तो तत्काल वाहन में बैठकर रवाना हो गया। यह पूरी घटना चौराहे पर लगे कैमरे में भी कैद हुई होगी? मगर हम तो जनता की जागरूकता देखकर हतप्रभ रह गये। कर कुछ नहीं सकते है। तो अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मोबाइल चोरी

अतिविशिष्टजनों की मौजूदगी में, किसी विशिष्टजन का फोन चोरी हो जाये! वह भी तब, जब कड़ी सुरक्षा व्यवस्था हो। खासकर तब, जब जिनका फोन चोरी गया। वह अपने बिरयानी नेताजी से बतिया रहे हो। यह चर्चा इन दिनों शहर के पंजाप्रेमी कर रहे है। घटनास्थल राजधानी का पंजाप्रेमी भवन है और घटना 9 नवम्बर की बताई जा रही है। जिनका फोन चोरी हुआ। वह 14 महीने की पंजाप्रेमी सरकार में जिले के प्रभारी थे। मां चामुंडा नगरी के निवासी है। उनका फोन उसी वक्त गायब हुआ, जब अपने बिरयानी नेताजी से बात करने कमरे में गये थे। गलती से फोन फाइल पर रख दिया। उसके बाद फोन चोरी हो गया। ऐसा शहर के पंजाप्रेमी बोल रहे है। सच-झूठ का फैसला हमारे समझदार पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मजबूर …

अपने मामाजी अकसर कहते है। अन्नदाताओं को कोई तकलीफ नहीं आने दूंगा। इसके बाद भी दाल-बिस्किट वाली तहसील के अन्नदाताओं को मजबूर किया जा रहा है। एक निजी बैंक में खाता खोलने के लिए। बैंक के कर्मचारी गांव-गांव जाकर संपर्क कर रहे है। हमारी बैंक में खाता खोलो। तभी आपको मुआवजा मिलेगा। फोर-लेन के भू-अर्जन अवार्ड का मामला है। 3 महीने से निजी बैंक में 87 खोखा जमा है। अभी तक मुआवजा वितरण शुरू नहीं हुआ है। दाल-बिस्किट वाली तहसील की मैडम इस मामले में चुप है। ऐसी चर्चा अन्नदाताओं के बीच है। जबकि पंचायत चुनाव नजदीक है। अब मैडम क्यों चुप है। इसको लेकर तहसील में खूब चर्चा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।

चाल …

अपने कमलप्रेमी लेटरबाज जी भी गजब चाल चलते है। भले ही वह शतरंज नहीं खेलते है। लेकिन राजनीति की चालो से वाकिफ है। तभी तो एक विज्ञापन छपवा दिया। जिसकी तस्वीर लगवाकर छपवाया। उसको ही नहीं पता था। नतीजा, बाकी मीडिया उसके खिलाफ हो गई। इंदौरी निवासी युवा नेता को सफाई देना पड़ गई। क्योंकि मीडिया ने उनको घेर लिया था। विज्ञापन कार्यकर्ता सम्मेलन का था। अब दाल-बिस्किट वाली तहसील के कमलप्रेमी और मीडिया, अपने लेटरबाज जी की इस चाल की खूब चर्चा कर रहे है। मगर अपने लेटरबाज जी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते है। तो चुप है। फिर हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

खेल …

अपने विकास पुरूष बहुत व्यस्त है। आखिर वह पिताश्री होने का दायित्व निभा रहे है। कन्यादान करते वक्त उनकी आंखे नम होंगी। हर पिताश्री का यह सपना होता है। जिसके चलते उनका व्यस्त होना स्वभाविक है। मगर, उनके बिजी होने का लाभ, चक्रम के एक अधिकारी ने उठा लिया है। चक्रम के गलियारों में तो यही चर्चा है। दबी जुबान में यह बोला जा रहा है। अतिरिक्त स्तर के एक अधिकारी ने खेल कर दिया है। खेल उगरानी की तरफ इशारा कर रहा है। अब इस बात में कितना सच है- कितना झूठ। यह तो चक्रम के अधीन आने वाले महाविद्यालय के संचालक ही बता सकते है। हम तो केवल यह भरोसा रखते है कि … अपने विकास पुरूष ने ऐसी इजाजत नहीं दी होगी। लेकिन चक्रम में इस खेल की चर्चा खूब सुनाई दे रही है। मगर … हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

नई दुकान …

आज तक ऐसा नहीं हुआ। पंजाप्रेमी की 14 महीने वाली सरकार में भी नहीं। जो अपने फूलपेंटधारियों की सरकार में हो गया। अपने उदासीन बाबा और 2 नम्बरी मौनी बाबा के संरक्षण में। 3 पेटी का खेल हो गया। उस विद्वान के नाम पर। जिसको लेकर कहावत है। यह उसी डाल को काट रहे थे, जिस डाल पर बैठे थे। रविवार को उसी विद्वान की याद में कलश यात्रा थी।

7 दिवसीय समारोह शुरूआत के पहले। चर्चा यह सुनाई दी कि अपने उदासीन बाबा ने नई दुकान खोल ली। मगर जिन-जिन अतिथियों जैसे विकास पुरूष- पहलवान- वजनदार जी- ढीला-मानुष आदि को बुलाया। वह सभी गायब रहे।

लेकिन उदासीन बाबा को तो 3 पेटी से मतलब था। इसीलिए उन्होंने अपना खेल कर लिया। कलश यात्रा में एक कवि को लेकर भी चर्चा थी। जिसने समारोह को लेकर हुई बैठक में बोला था। समिति के सभी 92 सदस्य के परिवार इस समारोह में शामिल हो। खूब तालियां बजी थी। मगर वह कवि खुद पिछले 2 दिन से गायब है।

उनका मकसद केवल 1 कार्यक्रम का संचालन हथियाना था। जिसके लिए उन्होंने एक फूलपेंटधारी से फोन लगवा दिया। कार्यक्रम मिल गया। फिर गायब हो गये। यह दोनों चर्चा आज कलश यात्रा में सुनाई दी। जिसमें हम तो कुछ कर नहीं सकते है। बस … आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

-प्रशांत अंजाना

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