हम चुप रहेंगे (6 दिसंबर 2021)

पटकनी …

राजनीति में कब अपने चेहते को ही पटकनी देनी पड़ जाये। कुछ कहा नहीं जा सकता है। खासकर उसको, जिसको विधायक बनवाया। उसी को पटकनी देना पड़े। ऐसी चर्चा बदबू वाले शहर में चल रही है। पटकनी देने वाले अपने ताऊजी है और जिनको शिकस्त मिली वह पिस्तौल कांड के नायक है। मामला कमलप्रेमियों की युवा इकाई से जुड़ा है। जिसमें अभी-अभी अपने जलवा वाले की नियुक्ति हुई है। जो कि पिस्तौल कांड नायक के घोर विरोधी है। पिस्तौल कांड नायक किसी दूसरे को बनवाना चाहते थे। जुगाड भी लग गई थी। लिस्ट जारी होने वाली थी। मगर अपने ताऊजी तक खबर पहुंच गई। उन्होंने अपने वीटो पॉवर का उपयोग किया। लिस्ट रूकवा दी, और नई लिस्ट में अपने जलवा वाले की नियुक्ति हो गई। अब इस पटकनी को लेकर बदबू वाले शहर में खूब चर्चा है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

6 कक्ष …

अगर कोई आम इंसान 6 कक्षों का अतिरिक्त निर्माण कराये? तो 6 कक्ष बनाने में कितना खर्च आयेंगा? अधिकत्तम 50 पेटी। मगर क्या 6 अतिरिक्त कक्ष बनाने में 3 खोखा 87 पेटी का खर्च आयेंगा। यह सवाल इन दिनों कमलप्रेमियों के बीच सुनाई दे रहा है। अतिरिक्त कक्ष के लिए प्रयास अपने विकास पुरूष और पहलवान ने किये है। इन कक्षों के लिए इतनी बड़ी राशि प्रशासकीय स्वीकृति भी हो गई है। कक्ष माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के लिए बनाये जा रहे है। जिसको लेकर कमलप्रेमी बोल रहे है। कक्ष नहीं ताजमहल बनाया जा रहा है। अब कमलप्रेमियों की जुबान तो हम पकड़ नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अनावरण …

महामना की प्रतिमा का अनावरण ताबड़-तोड़ क्यों हुआ। इसको लेकर चक्रम के गलियारों में चर्चा चल रही है। इशारा अपने विकस पुरूष की तरफ है। अनावरण वैसे तो 22 दिसम्बर को ही होना था। मगर तब अनावरण, महामहिम के कर-कमलों से होता। अगर ऐसा होता तो अपने विकास पुरूष का नाम शिलालेख पर दूसरे नम्बर पर होता। जो कि अपने विकास पुरूष को पसंद नहीं है। 2 नम्बरी उनको कभी पसंद नहीं रहा है। इसीलिए तो ताबड़-तोड अनावरण का कार्यक्रम तय हुआ। ताकि विकास पुरूष का नाम हमेशा नम्बर- 1 पर रहे। अब सच क्या है। विकास पुरूष जाने या चक्रम के गलियारे। हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

व्यवहार …

दमदमा के ग्रामीण भवन में यह चर्चा सुनाई दे रही है। चर्चा यह है कि अपनी घमंडी मैडम, सभी के साथ समान व्यवहार करती है। फिर भले ही अपने वजनदार जी हो या फिर अपने बडबोले नेताजी। तभी तो मिलने आये बडबोले नेताजी को इंतजार करना पड़ा। जब नेताजी इंतजार से थक गये। तो कक्ष में घुस गये। उनको जवाब मिला कि … मिलने का समय 3 से 5 है। नतीजा बडबोले नेताजी चुपचाप लौट गये। इसी तरह अपने वजनदार जी ने फोन पर अपनी घमंडी मैडम को, अपने ऑफिस बुलवाया। अपनी मैडम ने साफ इंकार कर दिया। यह सब बाते ग्रामीण भवन के गलियारों में दबी जुबान से बोली जा रही है। सच-झूठ का फैसला पाठक खुद कर ले, क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

फरार …

ग्रामीण कमलप्रेमियों का वर्ग चल रहा है। जिसमें एक कमंडल अध्यक्ष भी शामिल है। यह वही कमंडल मुखिया है, जिन पर अभी हाल ही में प्रकरण दर्ज हुआ था। तोड़-फोड को लेकर। जिसके बाद वह वर्दी की निगाह में अभी तक फरार है। अब यह बात अलग है कि कमंडल के मुखिया वहां मौजूद है। उन्होंने मंचासीन अतिथियों का स्वागत भी किया। ऐसी चर्चा वर्ग में शामिल कमलप्रेमी ही कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो वर्दी की निगाहों को सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

बच गये …

स्वच्छता सम्मान समारोह के बाद हड़ताल होना पक्का था। तैयारी भी हो गई थी। सफाई कामगार भी तैयार थे। हड़ताल पर जाने के लिए। इस खबर ने अपने पपेट जी की नींद उडा दी थी। ऐसे में अपने पपेट जी की डोर, जिनके हाथ में है। अपने फूलपेंटधारी ने मदद की। आराधना भवन से मदद मांगी। नतीजा सफाई संगठन के संरक्षक के पास फोन गया। नाराजगी का कारण पूछा। फिर अपने पपेट जी ने फोन पर बात की। अगले दिन शिवाजी भवन में संगठन की बैठक बुला ली। सहज- सरल संगठन के संरक्षक ने दरियादिली दिखाई। अपना निर्णय स्थगित कर दिया। अपने पपेट जी को भी माफ कर दिया। नतीजा हड़ताल टल गई और पपेट जी इस मुसीबत से बच गये। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में दबी जुबान से सुनाई दे रही है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सवाल …

जो काम अपने कमलप्रेमी जनप्रतिनिधि और नेता नहीं कर पाये। वह काम अपने पंजाप्रेमी छोटे चरणलाल जी ने कर दिया। वह भी केवल एक सवाल करके। जिसे सुनकर अपनी घमंडी मैडम को नीचा देखना पड़ा। घटना 1 दिसम्बर की बताई जा रही है। मेले का शुभारंभ होने वाला था। तभी अपने छोटे चरणलाल जी ने सवाल ठोक दिया। सवाल यह था कि … मैडम डस्टबीन आखिर क्यों नहीं रखे गये। इस एक सवाल ने अपनी मैडम के चेहरे का रंग उडा दिया। ऐसा घटना को देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। खुशी-खुशी यह घटना सुना रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कर्म …

राजनीति में आने के बाद, अक्सर पुराने कर्म आड़े आ जाते है। खासकर तब, जब कोई अच्छा पद मिलने वाला हो। तब पुराने कर्म तकलीफ दे जाते है। ऐसा इन दिनों पंजाप्रेमी बोल रहे है। जिसमें इशारा अपने कामरेड को हटाकर, उनकी जगह आने वाले युवा पंजाप्रेमी नेता की तरफ है। जो कि नानाखेड़ा क्षेत्र के निवासी है। पंजाप्रेमियों में चर्चा है कि युवा नेता अध्यक्ष पद की दौड़ में थे। बस मोहर लगना बाकी थी। मगर उच्च स्तर पर शिकायत हो गई। जिसमें युवा नेता की स्लेट पकड़े फोटो का उल्लेख है। जो कभी वर्दी ने खीची थी। जब ब्लैक एंड व्हाईट का जमाना था। बस इसी फोटो ने खेल बिगाड दिया है। ऐसा पंजाप्रेमी बोल रहे है। सच और झूठ का फैसला हमारे समझदार पाठक और पंजाप्रेमी खुद कर ले। क्योंक हमें तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सफाई…

हमारे पाठकों ने पिछले 2 दिनों में अनोखी वसूली की खबर जरूर पढ़ी होगी। उसी से जुड़ी खबर राजधानी से मिली है। जिसके मुख्य पात्र मां चामुंडा की नगरी के निवासी है। कमलप्रेमियों की युवा इकाई में पदाधिकारी है। प्रदेश स्तर पर। रविवार को वह राजधानी पहुंचे। अपनी सफाई देने। युवा और बुर्जुग प्रदेश मुखिया के पास। दोनों को अपनी सफाई दी। ट्रांसफर के बदले राशि लेने के मामले को गलत बताया। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। यह भी बोल रहे है कि … संगठन इस घटना से बहुत नाराज है। कार्रवाई भी हो सकती है। देखना यह है कि चामुंडा नगरी के निवासी युवा नेता की सफाई कितने काम आती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते …

अपनी पंजाप्रेमी बुआजी ने सभी पदो से इस्तीफा देकर, एक बार फिर सनसनी मचा दी है। पंजाप्रेमी इसके पीछे का कारण खोज रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

– प्रशांत अंजाना

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