हम चुप रहेंगे (10 जनवरी 2022)

काम …

यह स्लोगन सभी को पता है। कमलप्रेमियों के 3 काम … बैठक-भोजन-विश्राम। मगर कभी-कभी कमलप्रेमी इसके उलट भी करते है। जैसे विस्तारकों की कार्यशाला में किया। जहां पर पहले भोजन किया… उसके बाद बैठक (शुभारंभ) हुई। खुद प्रदेश संगठन के मुखिया ने पहले भोजन को तवज्जों दी। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। अब पहले भोजन- फिर बैठक- और विश्राम। कमलप्रेमियों के यह 3 काम। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इंतजार …

दाल-बिस्किट वाली तहसील में इंतजार हो रहा है। एक ऐसे कमलप्रेमी नेता का। जो पिछले कई सालों से माननीयों के करीबी रहे है। 2 माननीयों का काम काज भी देख चुके है। तहसील में उनकी तूती बोलती है। मगर इस बार फस गये है।
साजिश रचने के चक्कर में। एक खबरची और युवा कमलप्रेमी नेता को बदनाम करने की साजिश रची थी। जो फेल हो गई, मगर उनका नाम जरूर उजागर हो गया। रेस्ट हाऊस कांड में। अब सभी को सफाई देते हुए, मुंह छुपा रहे है। घटना के अगले दिन ही घिरा गये थे। अगर मिल जाते तो कुटाई पक्की थी। उसके बाद से लापता है और दाल-बिस्किट तहसील वाले इंतजार कर रहे है। अपने हाथों की खुजली मिटाने का। देखना यह है कि इंतजार कब खत्म होता है। कुटाई होती है या समझौता। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दोष …

अपनी गलती छुपाने के लिए दूसरे पर दोष मढ देना, सबसे आसान तरीका होता है। जैसे अभी-अभी अपने कमलप्रेमी लेटरबाज जी ने किया। स्वर्गलोक में भी कमलप्रेमी सदस्य … की खबर पर। मोर्चे की मुखिया से बयान जारी करवा दिया। टंकण त्रुटि का सहारा लेकर। जबकि असलियत कुछ और है। मोर्चे की मुखिया सूची लेकर गई थी। उस वक्त अपने लेटरबाज जी और बदबू वाले शहर के दरबार … के साथ गोपनीय चर्चा कर रहे थे। नतीजा … अपने लेटरबाज जी ने सूची का केवल प्रथम पृष्ठ देखा। निर्देश दे दिये। जारी कर दो। जबकि स्वर्गीय नेत्री का नाम दूसरे पृष्ठ पर था। ताज्जुब की बात यह है कि लेटरबाज जी स्वर्गीय नेत्री के घर पर बैठने भी गये थे। अगर दूसरा पृष्ठ देख लेते तो स्वर्गलोक की सदस्यता से बच जाते। ऐसा हम नहीं… बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस… अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

डिमांड …

अपने पपेट जी की इन दिनों अनोखी डिमांड चर्चा का विषय बन गई है। शिवाजी भवन के गलियारों में यह डिमांड खूब सुनाई दे रही है। इस डिमांड का नाम ट्रांसफर है। अंदरखाने की खबर है कि अपने पपेट जी आजकल यही बोल रहे है। अपने मातहतों की बैठक लेते वक्त। तुम तो मेरा ट्रांसफर करवा दो। जिनसे यह डिमांड की जाती है। वह सभी उस स्तर के कर्मचारी है। जो बेचारे केवल सुनना और हुक्म बजाना ही जानते है। कोई भी पलटकर कभी जवाब नहीं देता है। इसीलिए अपने पपेट जी की अनोखी डिमांड सुनकर चुप रह जाते है। अब जब डिमांड सुनने वाले ही चुप रहते है, तो हम कौन होते है, बोलने वाले। हम भी पपेट जी की डिमांड सुनकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

केवल मैं …

अपने विकास पुरूष कभी भी यह मौका नहीं छोड़ते है। उनका एक सूत्रीय कार्यक्रम है। वह जहां मौजूद है- वहां केवल वही और वही है। उनके अलावा बाकी सभी गौण है। तभी तो कमलप्रेमी संगठन मुखिया के आगमन पर उन्होंने साबित कर दिया। केवल और केवल मैं ही हर जगह सर्वोच्च हूं। जिसका गुणगान कैसे होगा। इसका तरीका भी उनको खूब आता है। तभी तो सरकारी भोपू से जो खबर जारी हुई। उसमें प्रदेश के मुखिया का नाम पांचवे नम्बर पर था। बाबा के दर्शन की खबर का मामला है। सरकारी भोपू को जैसे निर्देश मिले… वैसी खबर लिख दी। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सवाल …

पंजाप्रेमियों से अगर एक सवाल पूछा जाये। उनकी पार्टी में सबसे चतुर नेता कौन है। अधिकांश का जवाब होगा। अपने बिरयानी नेताजी। जो कि कांटे से कांटा निकालने का हुनर जानते है। तभी तो उन्होंने पंजाप्रेमी नेत्री और अपने कामरेड को भिडवा दिया है। वह भी सार्वजनिक तौर पर। नतीजा … राजधानी तक शिकायत करने पंजाप्रेमी नेत्री पहुंच गई। मगर लाख टके का सवाल है। दोनों ही (नेत्री और कामरेड) अपने बिरयानी नेताजी के खास है। दोनों को बिरयानी नेताजी ने आगे बढ़ाया है। अब जब यह भिडंत हो रही है। तो अपने बिरयानी नेताजी सुलझाने के बदले, एक कांटे से दूसरे कांटे को निकाल रहे है। वजह … भविष्य की चिंता है। जो कि उनका युवा भतीजा है। जिसके लिए यह सारा खेल रचा जा रहा है। ऐसा पंजाप्रेमी ही बोल रहे है। मगर, हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मजाक …

तो अपने उम्मीद जी ने खबर को गंभीरता से लिया है। साप्ताहिक जनसुनवाई को मजाक साबित करने वाली खबर को। तभी तो उन्होंने ठान लिया है। गरीब फरियादी को न्याय दिलाकर रहेंगे। जनसुनवाई मजाक नहीं बनेंगी। अपने उम्मीद जी के निर्देश पर जांच- पड़ताल शुरू हो गई है। फरियादी भी फिलहाल तो खुश है। उम्मीद जी को दुआएं दे रहा है। अब देखना यह है कि फरियादी को न्याय कब तक मिलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भोजन …

कमलप्रेमियों की एक बड़ी कमजोरी होती है। वह भोजन का मोह नहीं छोड़ पाते है। फिर भले ही भोजन किसी ऐसे व्यक्ति के घर पर हो। जिस पर सरकारी जमीन हड़पने सहित कई अन्य प्रकरण दर्ज हो। उसके घर भी भोजन करने कमलप्रेमी पहुंच जाते है। जैसा अभी-अभी हुआ। अपने विकास पुरूष भी इस मोह के शिकार हो गये। जबकि उनको इससे बचना था। फिर भी गये। ताकि … उनके समर्थक पर वर्दी कार्रवाई करने से पहले 10 बार सोचे। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी ही बोल रहे है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। लेकिन हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

परिवर्तन …

प्रकृति का नियम ही परिवर्तन है। परिवर्तन को नेता जल्दी आत्मसात करता है। तभी तो एक पंजाप्रेमी ब्लॉक अध्यक्ष के ह्दय परिवर्तन की सुगबुगाहट पंजाप्रेमियों में सुनाई दे रही है। कारण … यह है कि ब्लॉक अध्यक्ष इन दिनों अपने विकास पुरूष की सकारात्मक सोच वाली पोस्ट को प्रतिदिन सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे है। लगातार यह सिलसिला जारी है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के पंजाप्रेमी आश्चर्य में है। चर्चा है कि जल्दी ही ब्लॉक अध्यक्ष का ह्दय परिवर्तन हो सकता है और वह कमल का दामन थाम सकते है। अब देखना यह है कि ऐसा कब होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

निमंत्रण ..

एक तरफ तो प्रशासन और शासन कोविड के चलते कार्यक्रमों पर रोक लगा रहा है। वहीं दूसरी तरफ अनुमति भी दी जा रही है। ताजा मामला टॉवर चौक पर हुए संगीत कार्यक्रम का है। जिसमें अच्छी-खासी भीड रही। सोशल डिस्टेंस की बात तो दूर … मास्क तक नहीं लगाये गये थे। वर्दी खुद सुरक्षा दे रही थी। कारण … अपने विकास पुरूष खुद मौजूद थे। ऐसा ही एक और कार्यक्रम हो रहा है। 11 जनवरी को। जिसमें भीड भी रहेंगी। कोविड गाइड- लाइन का उल्लंघन भी होगा। अब सवाल यह है कि अगर प्रशासन खुद कोविड को निमंत्रण दे रहा है। तो इसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

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