दुबे के खिलाफ दर्ज दो केस फरारी में ही लड़ लिया चुनाव

निगम अध्यक्ष पद के दावेदार ने कहा- मुझे तो प्रकरण की जानकारी भी नहीं

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के चुनाव में वार्ड क्रमांक 29 से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते रामेश्वर दुबे के मामले में नया पेंच सामने आ गया है। माधवनगर थाने में 2019 में दर्ज हुए दो आपराधिक मामलों में रामेश्वर दुबे (रम्मू) फरार चल रहे हैं। एफआईआर में उनका नाम तो दर्ज है लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अ

ब जबकि रम्मू दुबे नगर निगम अध्यक्ष पद की दौड़ में है, उनके खिलाफ दर्ज ये दो मामले सार्वजनिक हुए हैं। पुलिस के रिकार्ड में फरार रम्मू दुबे ने न केवल नामांकन दाखिल किया बल्कि चुनाव भी लड़ा, चुनाव जीता और शुक्रवार को कलेक्टर की मौजूदगी में बकायदा शपथ ग्रहण कर विधिवत रूप से पार्षद भी बन जाएंगे। खुद रम्मू दुबे का कहना है कि उनके खिलाफ कोई प्रकरण भी दर्ज है, इसकी तो उन्हें जानकारी तक नहीं है।

वार्ड 29 से पार्षद रम्मू दुबे का नाम नगर निगम अध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध है इस लिहाज से उन्हें अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। रम्मू दुबे का जब पार्षद पद के लिए टिकट तय हुआ था तब उनके वार्ड के 7 बूथ अध्यक्षों ने विरोध में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

रम्मू दुबे पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ पूर्व में निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके थे लिहाजा उनके विरोधियों ने टिकिट तय होने से लेकर नामांकन जमा होने तक कई स्तर पर शिकायतें की थी। शिकवे-शिकायत की हर बाधा को पार करते हुए रम्मू दुबे ने न केवल चुनाव लड़ा बल्कि चुनाव जीत भी लिया। अब फरारी में चुनाव लडऩे का नया मामला सामने आया है।

जानकारी हो तब तो केस का उल्लेख करे

भाजपा पार्षद रामेश्वर दुबे (रम्मू) ने अग्निपथ से बातचीत में कहा कि दोनों अपराध कब दर्ज हुए और कब मेरा नाम जुड़ गया इसकी मुझे जानकारी तक नहीं है। दो साल की अवधि में न कभी पुलिस की तरफ से कोई नोटिस मिला, न ही कभी प्रकरण संबंधी जानकारी दी गई। किसी एफआईआर की जानकारी जब तक नहीं मिलेगी तब तक नामांकन में भी उसका उल्लेख नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि दोनों ही मामले राजनैतिक है, पुलिस ने ही जांच को पेंडिंग रखा तो इसमें हम क्या कर सकते है। निगम अध्यक्ष पद के चयन का मामला चल रहा है, इसलिए राजनैतिक विद्वेष से कुछ लोगों ने अकारण यह मामला उछाला है।

एक नजर घटनाक्रम पर

  • साल 2019 में इंदौर का एक अल्पसंख्यक समुदाय का युवक, एक युवती को भगाकर अपने साथ उज्जैन ले आया था। युवती के परिजन दोनों का पीछा करते हुए उज्जैन तक पहुंचे थे।
  • नानाखेड़ा स्थित सी-21 मॉल से दोनों को पकड़ा गया। शहर के कुछ हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारियों की मदद से दोनों को महिला थाने लाया गया था।
  • अल्पसंख्यक युवक के साथी युवती को साथ ले जाने का दबाव बना रहे थे लिहाजा कुछ देर के लिए महिला थाने के बाहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। थाने के बाहर खासा हंगामा हुआ और पत्थर भी चले थे।
  • बाद में युवती के परिजन उसे अपने साथ इंदौर ले गए। इस मामले में माधवनगर थाने में 7 से 8 लोगों के खिलाफ नामजद 2 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थी।
  • अपराध क्रमांक 475/2019 में धारा 147, 323, 254, 336 और अपराध क्रमांक 476/2019 के अंतर्गत 353, 147, 153 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इन दोनों ही एफआईआर में पार्षद रम्मू दुबे का नाम भी दर्ज है।
  • एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने दोनों ही मामले पेंडिंग कर दिए। 2 साल बीतने के बाद भी इन मामलों चालान कोर्ट में पेश नहीं किया गया।

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