बच्चों को सनातन संस्कृति की शिक्षा दो, आर्यों की किताबें पढ़ाओ: स्वामी इंद्रदेव सरस्वती

महामंडलेश्वर ने शिव महापुराण कथा में कहा

उज्जैन, अग्निपथ। जिस घर में औलाद बढ़ी हांकर अपने वर्चस्व के नीचे माता पिता को दबाती है वह बर्बाद हो जाती है। बच्चों को कार, गन, मोटर जैसे खिलौनों से मत खिलाओ, उनके सामने राम, सीता, कृष्ण लाओ। घोड़े पर सवार महाराणा प्रताप से खिलाओ। जितना मैकाले की पध्दति में पड़े रहोगे उतना बुढ़ापा बर्बाद होगा, सनातन संस्कृति की शिक्षा दो, आर्यों की किताबें पढ़ाओं गुरूकुल परंपराओं का ज्ञान दो बच्चे मजबूत बनेंगे।

उक्त बात नृसिंह घाट के समीप स्थित झालरिया मठ में चल रही शिव महापुराण कथा में महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कही। आदमी अंधा होकर अपने बच्चों को पढ़ा रहा है, अपनी संस्कृति का पाठ पढ़ाने की बजाये किताबी ज्ञान दे रहा है। आज जो हम पढ़ रहे हैं वह मेकाले की शिक्षा पध्दति है जिसने संकल्प लिया था कि जब तक भारत को बर्बाद नहीं कर दूंगा चैन से नहीं बैठूंगा, जिसने भारत को बर्बाद करने की कसम खाई, हम उस शिक्षा पध्दति के पीछे बर्बाद हुए जा रहे हैं।

मेकाले जब भारत आया था, वह इस देश पर साम्राज्य करना चाहता था, वह जानता था पहले भारत में 100 साल बिना स्त्री के पुरूष रह लेता था, स्त्री बिना पुरूष के रह लेती थी, ऐसे देश में किसी का साम्राज्य नहीं हो सकता। जिस देश में राजा का बेटा भी गुरूकुल में आम बच्चों की तरह पढ़ता है, सेवा करता है, ऐसे देश को खोखला करना है तो चरित्र और शिक्षा को नष्ट कर दो।

स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा शरीर की महिमा समझ में नहीं आई तो सब बेकार है। इसे मांस ,शराब, जुआ, सिगरेट, तंबाकू जैसे व्यसनों से बचाओ। मनुष्य इसलिए सर्वोपरि है क्योंकि इसमें अच्छा और बुरा समझने की शक्ति है। आप जैसा सोचते हैं वैसा संसार नहीं है, और आप जैसे है वैसा भी संसार नहीं है। अपने आप से संसार की तुलना करने से इंसान हमेशा गर्त में जाता है। अपने जैसा किसी को मत मानो। अपने जैसा जो व्यक्ति किसी को मानता है वो खुद भी तकलीफ में पड़ता है दूसरों को भी तकलीफ में डालते हैं।

कुछ लोग अपनी सोच का चश्मा लगाकर घूमते हैं फिर दुनिया में उनको कोई भी ढंग का आदमी नहीं मिलता। परमात्मा ने तुमको जो शरीर दिया है ये जगत में सबसे अमूल्य है इसलिए तुम गरीब नहीं हो। इस जगत में सोचने की शक्ति केवल मनुष्य को हैं, ब्रह्माण्ड में बड़े बड़े माथे है जानवरों के पर वो सोचते नहीं। आदमी को जब अपनी अहमियत पता नहीं होती तो वह उल्टा बोलता रहता है।

महेन्द्र कक्कड़, ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 12 अगस्त तक चलने वाली कथा में श्रावण मास में ज्योतिर्लिंगों की कथा महाराजश्री द्वारा सुनाई जा रही है। साथ ही श्री झालरिया मठ में शिव महापुराण कथा, शिवलिंग अर्चन रूद्राभिषेक, कालसर्प, महाकाल, गोपूजन, पितृदोष निवारण किया जा रहा है। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक चल रही कथा का सीधा प्रसारण संस्कार टीवी पर भी हो रहा है।

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