नदी में बहती नाव बचाने में गई युवक की जान, तीन दिन बाद मिला शव

डूबा

उद्योग प्रबंधन राशि उपलब्ध करा देता तो बच जाती विजय की जान

उन्हेल, अग्निपथ। चंबल नदी के तेज बहाव में बह रही नाव वापस लाने में एक युवक की जान चली गई। 3 दिन बाद युवक का शव गुरुवार सुबह नदी में तैरता मिला। घटना में नागदा के एक उद्योग प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है।

मृतक का ग्राम सेकड़ी सुल्तानपुर का रहने वाला 22 साल का विजय पिता मदनलाल है। ग्राम वासियों के अनुसार बताया जा रहा है कि उद्योग प्रबंधन का डैम होने के कारण गांव वासियों को नदी पार कराने के लिए एक नाव दी गई है और उसको लेकर बताया जाता है कि उक्त नाव को मदनलाल और उनका पुत्र विजय चलाते थे। जिसको लेकर नागदा का उद्योग प्रबंधन आर्थिक सहयोग करता था बारिश के समय मदनलाल को उद्योग प्रबंधन नाव, रस्सी टॉर्च आदि की व्यवस्था करके देता है।

इस बार ऐसी व्यवस्था को लेकर मदनलाल ने रस्सी के अलावा अन्य सामग्री की मांग उद्योग प्रबंधन से की थी और यह मांग लगातार कर रहा था पर उद्योग प्रबंधन ने मदनलाल की इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया यही लापरवाही का खामियाजा मदनलाल को अपने पुत्र के जान गंवा कर चुकाना पड़ा। अब उद्योग प्रबंधन इन लापरवाही को लेकर मामले से पल्ला झाड़ रहा है।

मंगलवार को ही इस घटना के बाद से पुलिस प्रशासन और राजस्व अधिकारी की मौजूदगी में गोताखोरों का दल मृतक विजय का शव खोजने में लगे थे पर सफलता नहीं मिली।गुरुवार की सुबह विजय का शव तैरता हुआ मिला। इसकी सूचना मिलने ुप पुलिस ने पीएम के बाद मर्ग कायम कर मामले को विवेचना में लिया है।

यह है घटनाक्रम

मंगलवार को चंबल नदी उफान पर थी ग्रामीणों को नदी पार कराने के लिए जो नाव नदी के किनारे रखी गई थी वह पानी के बहाव में बहने लगी थी। उसे पकडऩे के लिए विजय उफनती हुई नदी में कूद गया था उसके कारण उसकी मौत हो गई। उद्योग प्रबंधन मदनलाल और उसके पुत्र को नाव को बांधने के लिए रस्सी उपलब्ध करा देता तो नाव पानी के बहाव में बहती नहीं और बंधी रहती तो उफनती चंबल नदी में विजय कूदता नहीं यही मौत का असली घटनाक्रम था।

अधिकारी फोन नहीं रिसीव करते थे

मदनलाल चरण के अनुसार उद्योग प्रबंधन को लेकर मृतक के पिता ने अग्नीपथ को बताया कि मुझे ग्रामीण लोगों को नाव से नदी पार कराने का उद्योग प्रबंधन कोई मेहनताना नहीं देता था यह व्यवस्था गांव के लोग करते थे। मेरे पास सालों साल पुरानी नाव की रस्सी थी जो सड़ चुकी थी। इसको लेकर उद्योग प्रबंधन के ग्रामीण अधिकारी अरविंद सिकरवार को कई दिनों से फोन लगा रहा था।

पर वह मेरा फोन रिसीव नहीं करते थे और जब फोन उठाया तो उन्होंने कहा था कि आपको रस्सी दे देंगे उसके बाद फोन लगाया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। जब इस मामले में अग्निपथ ने उद्योग प्रबंधन के ग्रामीण अधिकारी अरविंद सिकरवार के मोबाइल पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा।

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