रामचरित मानस एक क्लासिक ग्रन्थ है- डॉ. भट्ट

माधव कॉलेज में दर्शन शास्त्र विभाग में राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ उद्घाटन

उज्जैन, अग्निपथ। रामचरित मानस एक क्लासिक ग्रन्थ है जिसे तुलसीदास जी ने गहन अध्ययन कर के संसार के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसमें भारतीय संस्कृति का निचोड़ है। तुलसी दासजी की राम कथा सनातन है। रामचरित मानस में मानव व्यवहार के हर पहलू का विवेचन किया गया है। इसमें भारतीय आदर्श प्रस्तुत किया गया है। मानस दुनिया को प्रेम और भक्ति का सन्देश दे रहा है।

ये उद्गार देश के प्रख्यात दर्शनविद भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. एस आर भट्ट ने माधव कॉलेज में रामचरित मानस : एक दार्शनिक एवं आध्यात्मिक यात्रा” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में व्यक्त किए। स्वामी महेश चरण ने कहा कि कृष्ण ने दस इंद्रियों के बाद ग्यारहवीं इंद्रिय मन को बताया है। जिस ने मन को साध लिया, उसने जग को जीत लिया। पृथ्वी पर मर्यादा की स्थापना के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम राम अवतरित हुए। पुरुषोत्तम के रूप में उन्होंने मर्यादा की रक्षा की।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक हिन्दी साहित्य के उद्भट विद्वान डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि राम चरित मानस मर्यादा पुरुषोत्तम राम की महिमा का वर्णन करने वाला महान ग्रन्थ है, जिस की कोटि का कोई दूसरा ग्रन्थ नहीं है। यह दर्शना से वर्णना की यात्रा का दर्शन है। बिना दर्शन के वर्णन सम्भव नहीं है।

विक्रम विश्व विद्यालय के कुल सचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने ऐतिहासिक दृष्टि से विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कबीरदास, रैदास, तुलसी दास जी आदि ने भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाया। तुलसी दासजी ने राम चरित मानस में राम का आदर्श चरित्र प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय ने कहा कि पूर्णता का मार्ग राम के मार्ग पर चल कर प्रशस्त हो सकता है। राम चरित मानस चारों पुरुषार्थ सिद्ध करने वाला ग्रन्थ है। राम पर चर्चा होना सुखद अनुभव है।

पूर्व सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राम चरित मानस ऐसा समुद्र है, जिस में असंख्य मोती मिलते हैं। राम चरित मानस में जीवन के सभी पक्ष शामिल हैं। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो आर सी सिन्हा ने कहा कि राम चरित मानस ग्रन्थ हमारे देश को प्रभावित करता रहा है।

माधव कॉलेज के प्राचार्य डॉ जे एल बरमैया ने कहा कि तुलसीदासजी ने राम चरित मानस के माध्यम से भारतीय संस्कृति का विश्व भर में प्रचार किया। संगोष्ठी में समस्त स्टाफ तथा देश प्रदेश के प्रतिभागी उपस्थित रहे। माधव कॉलेज में दर्शन शास्त्र विभाग एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी की सफलता के लिए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुभकामनाएं प्रेषित की। उद्घाटन समारोह का संचालन डॉ. जफर मेहमूद ने किया।

आंतरिक गुणवत्ता नियन्त्रण प्रभारी डॉ अल्पना उपाध्याय और जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष बुद्धसिंह सेंगर ने भी अपने विचार प्रकट किए। डॉ. रवि मिश्र ने स्वागत किया। डॉ. राजश्री सेठ ने बहुत बढिय़ा तरीक़े से आभार व्यक्त किया। उद्घाटन समारोह के पश्चात् आयोजित संगोष्ठी के प्रथम सत्र में सांची विश्व विद्यालय के डॉ. नवीन मेहता, डॉ. विश्वास अलवाय, डॉ. सुनीता कवीश्वर एवं डॉ. प्रीति जायसवाल ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। विशिष्ट अतिथि डॉ. आभा होलकर थीं।

सत्र की अध्यक्षता डॉ. आर सी सिन्हा ने की। संचालन डॉ. अर्चना पाण्डे ने किया। इस अवसर पर डॉ. अल्पना दुभाषे ने स्वागत किया। माधव महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष संगोष्ठी संयोजक डॉ. शोभा मिश्र ने बताया कि तीन दिवसीय संगोष्ठी रविवार को भी जारी रहेगी। समापन समारोह 23 जनवरी को आयोजित किया जाएगा।

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