शिप्रा में मिली गंदगी: असली गुनाहगार बचे, एक दिन पहले ज्वाइन करने वाले जैन की सेवा समाप्त

इंदौर की तीर्थकाम कंपनी की लापरवाही से रुद्रसागर का नाला ओवरफ्लो हुआ

उज्जैन, अग्निपथ। अन्तोगत्वा हुआ वही जिसका अंदेशा था। जिले के मुखिया के निर्देश पर रुद्रसागर क्षेत्र में गंदा पानी शिप्रा में मिलने के मामले में स्मार्ट सिटी में संविदा पर एक दिन पूर्व ही ज्वाइन हुए कार्यपालन यंत्री मनीष जैन की सेवा समाप्ति का फरमान स्मार्ट सिटी के कार्यकारी निर्देश एवं निगमायुक्त ने जारी कर दिया। आइये समझते हैं कहानी और जानते हैं इसका असली जिम्मेदार कौन।

अमृत मिशन योजना के अन्तर्गत स्मार्ट सिटी द्वारा इस कार्य की एजेंसी नगर निगम उज्जैन को बनाया गया था, जिसमें रुद्र सागर में 1200 मिलीमीटर व्यास की दो पाइप लाइनें टाटा कंपनी के द्वारा डाली जानी थी। इस कार्य के लिए अक्षीक्षण यंत्री निगम में पदस्थ गोपाल कृष्ण कंठिल हैं( जो जून2023 में सेवा निवृत्त होने जा रहे हैं) और अमृत मिशन योजना में प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीएचई में पदस्थ प्रभारी सहायक यंत्री राजीव शुक्ल को नियुक्त किया गया था। शुक्ला के काफी लंबे समय से अवकाश पर होने के कारण मनीष जैन को प्रभार सौंपा गया था।

कंपनी की लापरवाही से शिप्रा गंदी हुई

टाटा कंपनी द्वारा रुद्रसागर में कार्य करने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण निगमायुक्त रौशन कुमार सिंह द्वारा 1200 एमएम की दो पाइप लाइन डालने का कार्य स्मार्ट सिटी कंपनी के ठेकेदार फर्म गोपी तीर्थकाम कंपनी इंदौर से मौखिक निर्देश पर करवाया जा रहा था। गंदे पानी की 600 एमएम (24 इंच) व्यास की पाईप लार्ईन फर्म गोपी तीर्थकाम कंपनी इंदौर द्वारा कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त की गई है।

शिप्रा में गंदगी मिलने के दोषी अधीक्षण यंत्री गोपालकृष्ण कंठिल

चूंकि यह कार्य नगर निगम उज्जैन द्वारा अमृत मिशन योजना में कराया जा रहा था, इस कारण से निगम के अक्षीक्षण यंत्री गोपाल कृष्ण कंठिल पूरी तरह से दोषी हैं। इस घटना के लिए जो गुनाहगार है वही तीन सदस्यीय जांच कमेटी के सदस्य हैं। मतलब बिल्ली को दूध की रखवाली का जिम्मा।

बताया जाता है कि पीएचई के अभियंताओं द्वारा पूर्व अनाधिकृत रूप से काम कर रहे ठेकेदार को समझाईश दे दी गई थी परन्तु फिर भी उसने लापरवाही पूर्वक काम किया। बताया जाता है कि अधीक्षण यंत्री कंठिल अधिकांश समय इंदौर में रहते हैं।

रुद्रसागर का नाला गंदगी से सराबोर

इस गंभीर घटना के बाद भी रुद्रसागर से बहने वाला नाला आज भी गंदगी से सराबोर है। निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों पर प्रतिमाह करोड़ों रुपए का व्यय हो रहा है फिर भी नाला गंदगी से पटा हुआ है। बारिश से पूर्व इस नाले की सफाई की जाना निंतात आवश्यक है। सफाई व्यवस्था हेतु जिम्मेदार दोषी निगम अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाना चाहिए। अन्यथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुरावृत्ति हो सकती है। यदि रुद्रसागर से गुजरने वाले नाले की समुचित सफाई होती रहती तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती। वहीं इस मामले में संजेश गुप्ता भी दोषी माने जा रहे हैं।

एक नाला ओर हो सकता है ओवरफ्लो

बताया जाता है कि जयसिंहपुरा मार्ग पर अथर्व होटल के आगे से निकल रहे नाले की बी यही स्थिति है। वह भी किसी दिन ओवरफ्लो होकर शिप्रा को प्रदूषित करेगा।

इस मामले में कमिश्नर रौशन सिंह से बात करने की कोशिश की गई। परन्तु उन्होंने फोन रिसिव नहीं किया।

mukesh tatwal

मनीष जैन इस घटना के लिए जि मेदार नहीं है। एक दिन पहले ही उसे काम दिया गया था। वह संविदा पर काम करता है। सही दोषियोंं के खिलाफ ठोक कार्यवाही की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। इस मामले में मुख्यमंत्री से भी बात करूंगा।

-मुकेश टटवाल, महापौर उज्जैन

तीर्थ गोपीकान फर्म के ठेकेदार के पास वर्क आर्डर ही नहीं थी। फिर भी उससे काम कराया गया। अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदार शिप्रा में गंदगी मिलाने के दोषी हैं। इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। क्योंकि शिप्रा में गंदा पानी मिलने से आम लोगों की आस्था आहत हुई है।

-शिवेन्द्र तिवारी, प्रभारी जलकार्य एवं सीवरेज विभाग

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