महाकाल में वीआईपी कल्चर से होते हैं हादसे, जांच आयोग भी कह चुका है बंद करो

नियम तो कई बने लेकिन पालन पर जोर नहीं, हर हादसे के पीछे मंदिर समिति के जिम्मेदार ही दोषी, लेकिन बच जाते हैं

उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। 15 जुलाई 1996 सोमवती अमावस्या पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में हादसा हुआ था। तत्कालीन संभाग आयुक्त गर्भगृह में अभिषेक कर रहे थे। अंदर प्रवेश रोक दिया गया था। पालकी द्वार पर धक्का-मुक्की और फिसलन के कारण लोग एक-दूसरे पर गिरे, भगदड़ मची और 38 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे के बाद जांच आयोग गठित हुआ। न्यायमूर्ति आरके वर्मा द्वारा हादसे की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया था कि मंदिर प्रशासन वीआईपी व्यवस्था बंद करें।

आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट होने के बाद भी इस पर पालन नहीं हो रहा है। 1996 की घटना के बाद भी कुछ सुरक्षाकर्मी और मंदिर समिति के अदने कर्मचारी कार्रवाई के घेरे में आये थे। वैसा ही माहौल इस बार भी बन रहा है। ऐसे में सवाल फिर वही खड़ा हो रहा है कि मंदिर समिति वीआईवी व्यवस्था रोकने में असमर्थ क्यों हैं।

धुलेंडी पर महाकाल मंदिर के गर्भगृह की आग ने साफ कर दिया है कि समिति का नियम पालन और व्यवस्थाओं पर नियंत्रण नहीं है। चंद वीआईपी या रसूखदार लोगों के दबाव-प्रभाव में नियम तोड़े जाते हैं, परेशानी महाकाल भक्तों को उठाना पड़ती है।

अव्यवस्था से श्रद्धालु परेशान

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन लाखों की श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। जिनके दर्शन की सुविधाजनक व्यवस्था मंदिर समिति नहीं कर पा रही है। कई किमी पैदल चलने और धक्के खाने के बाद दर्शनार्थी जब मंदिर पहुंचता तो वो कुछ क्षण के लिए श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पाता। सुरक्षाकर्मी टीवी में महाकाल भगवान को दिखाकर आगे कर देते हैं। क्योंकि उस दौरान भक्त और भगवान के बीच कहीं न कहीं वीआईपी या पंडे-पुजारी खड़े होते हैं।

वीआईपी कल्चर के कारण रोज बनते हैं यह हालात

  • आम दर्शनार्थी को 300 फीट दूरी से कुछ क्षण के लिए ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाता है। जबकि वीआईपी नंदी हाल या फिर गर्भगृह के गेट तक जाकर आराम से दर्शन करता है। परिवारजनों के साथ फोटो-वीडियो लेता है। इस दौरान पीछे वाले दर्शन को तरस जाते हैं।
  • आम दर्शनार्थी को अपना वाहन करीब दो किमी दूर स्थित पार्किंग पर खड़ा कर वहां से पैदल-पैदल प्रवेश द्वार मानसरोवर गेट तक पहुंचना होता है।
  • यहां से फिर उसे मंदिर में ही एक किमी लंबा रास्ता तय करना है और फिर वो गण्ेाश मण्डपम् के बेरिकेट्स में पहुंचकर दर्शन कर पाता है। यहां भी उसे कुछ क्षण के लिए भी महाकाल के दीदार होते हैं, फिर पैदल ही उसे लौटना होता है।
  • दूसरी ओर वीआईपी नीलकंठ मार्ग से महाकाल लोक कंट्रोल रूम में अपने वाहन से पहुंचता है। वहां उसे लेने मंदिर समिति की ई-कार पहुंचती है। जो शंख द्वार पर छोड़ती है। वहां से एक कर्मचारी जूना महाकाल मंदिर के पीछे से सूर्यमुखी गेट से सीधे नंदी हाल या फिर गर्भगृह के द्वार तक ले जाता है।
  • कुछ अतिविशिष्ट तो भोग द्वार से सीधे नीचे पहुंचकर भगवान के दर्शन और पंडितों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मानव अधिकार आयोग ने भी मांगी मंदिर समिति से जानकारी

महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान आग लगने की घटना को लेकर मानव अधिकार आयोग ने स्वत: ही संज्ञान लेकर उज्जैन कलेक्टर तथा महाकाल मंदिर समिति से 15 बिंदुओं पर एक जांच रिपोर्ट मांगी है।

पूछा गया है कि घटना वाले दिन यानी 25 मार्च 2024 को महाकाल मंदिर उज्जैन के गर्भगृह में भस्म आरती के लिए कितने व्यक्तियों को जाने की अनुमति थी और घटना के समय कितने व्यक्ति मौजूद थे। गर्भगृह के अलावा भस्म आरती के समय शेष व्यक्ति/भक्तगण आदि गर्भगृह के दरवाजे से कितनी दूरी पर थे। भस्म आरती के समय गर्भगृह में गुलाल किस प्रकृति का उपलबध कराया गया था और यह व्यवस्था किसके द्वारा की गई थी।

गर्भगृह में भस्म आरती के समय गुलाल से आग किस प्रकार और किन परिस्थितियों में लगी थी। गर्भगृह में गुलाल से लगी ऐसी आग के कारण गर्भगृह और उसके बाहर मौजूद कितने व्यक्ति झुलसे। उन सभी का पूर्ण विवरण और इलाज एवं वर्तमान स्थिति के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन। आग में झुलसे ऐसे सभी व्यक्तियों के इलाज आदि पर व्यय की महाकाल मंदिर प्रबंधन और मध्यप्रदेश शासन की ओर से क्या व्यवस्था की गई।

आग से झुलसे ऐसे व्यक्तियों को महाकाल मंदिर प्रबंधन एवं मध्यप्रदेश शासन की ओर से कोई आर्थिक मुआवजा राशि दी गई है अथवा नहीं। गर्भगृह या उसके पास गुलाल के साथ ही बताए अनुसार प्रेशर पम्प या रंग उड़ाने वाली स्प्रे गन किन परिस्थितियों में पहुंची थी। क्या उन्हें मंदिर के अंदर लाए जाने की अनुमति मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा दी गई थी। इस प्रकार की घटना महाकाल मंदिर के गर्भगृह या अन्य कहीं परिसर में न हो इसके लिए भविष्य में क्या सावधानियां और निर्देश प्रस्तावित हैं।

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