टीस दे गया पत्रकारिता के दैदीप्यमान नक्षत्र का यूँ चले जाना

अप्रैल माह की आखिरी तारीख पत्रकार जगत के लिये मनहूस साबित हुयी। इलेक्ट्रानिक मीडिया से आज तक के एंकर 42 वर्षीय रोहित सरदाना को हमने खो दिया। आज तक के न्यूज एंकर, पत्रकार, कॉलोम्निस्ट, एडिटर और मीडिया जगत की जानी-मानी हस्ती रोहित सरदाना को 24 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने पर निजी चिकित्सालय में भर्ती किया गया था।

रोहित की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट तो निगेटिव आयी थी परंतु सीटी स्केन में उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया था। रोहित ने एक दिन पूर्व ही ट्वीट कर अपने मित्रों को स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होने की जानकारी भी दी थी परंतु आज ह्रदयाघात के कारण उनका निधन हो गया। 22 सितंबर 1979 को हिसार में जन्में रोहित ने 12वीं तक की शिक्षा गीता निकेतन आवासीय विद्यालय कुरुक्षेत्र से की। उसके पश्चात उन्होंने मनोविज्ञान में बी.ए. के पश्चात जन संचार विषय में स्नात्तोकोत्तर उपाधि हासिल की। रोहित ने कुछ थियेटर भी किये स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रवेश भी लिया परंतु वहाँ का रहन-सहन पसंद नहीं आया इस कारण छोडक़र चले आये।

फिर रोहित ने अपने जीवन का लक्ष्य टी.वी. एंकर बनना बनाया और दृढ़ इच्छा शक्ति कठोर परिश्रम के बल पर उन्होंने अपने लक्ष्य के श्रेष्ठतम को पाकर बताया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अनुशासित और संयमित कार्यकर्ता होने के कारण पत्रकारिता के उनके तेवर में भी वह सब झलकता था जो पत्रकारिता धर्म में होना चाहिये। इलेक्ट्रानिक मीडिया की लोकप्रियता में एंकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी भी चैनल का न्यूज शो तभी हिट होता है जब एंकर दमदार हो। छोटे-मोटे चैनलों में काम करने के बाद रोहित को जी न्यूज में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ।

जी न्यूज ने सामाजिक मुद्दों को लेकर एक वाद-विवाद शो ‘ताल ठोक के’ चालू किया जिसे होस्ट करने का अवसर रोहित को मिला, रोहित की विलक्षण प्रतिभा के कारण यह शो लोकप्रियता की ऊँचाईयाँ छूने लगा और जी न्यूज की टीआरपी में अप्रत्याशित वृद्धि हुयी। कुछ समय बाद रोहित ने जी न्यूज से विदा लेकर आज तक ज्वाईन की जहाँ उनका वेतन बतौर एंकर साढ़े सात लाख रुपये प्रतिमाह था। यहाँ पर भी उनका ‘दंगल’ जो कि एक वाद-विवाद शो था बहुत लोकप्रिय हुआ। रोहित नाम का शाब्दिक अर्थ होता है रक्त के समान। रोहित ने दंगल में अपने उसी रक्त वाले तेवर के दर्शन भारतीय दर्शकों को करायें। रोहित के करारे सवालों और तीक्ष्ण कटाक्ष के आगे भारत के राजनेताओं को पसीना आ जाता था।

पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए रोहित सरदाना राजनेताओं को उनकी वास्तविकता के लिये दर्पण दिखा देते थे। हरियाणा में जन्म होने के कारण उनकी भाषा में हरियाणवी की झलक आ जाती थी इस कारण किसी भी शॉट के पहले उन्हें समझाईश दी जाती थी कि वह ध्यान रखें कार्यक्रम दौरान हरियाणा भाषा जाहिर ना होने दें।

मात्र 42 वर्ष की उम्र में ही रोहित ने देश के कई महत्वपूर्ण सम्मान प्राप्त कर लिये थे जिनमें प्रमुख है सेन्सुई द्वारा दिया गया बेस्ट न्यूज प्रोग्राम अवार्ड, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, दिल्ली एजुकेशन सोसायटी द्वारा दिया गया बेस्ट न्यूज एंकर अवार्ड, माधव ज्योति सम्मान।

अपने पीछे पत्नी और दो बच्चियों को छोडक़र रोहित का यूँ जाना अखर गया। पत्रकारिता के इस दैदीप्यमान नक्षत्र के टूटकर जाने से भारतीय पत्रकारिता जगत को भी बहुत भारी क्षति हुयी है। एक दबंग और अपने पत्रकारिता धर्म का ईमानदारी से निर्वहन करने के लिये पत्रकार जगत बहुत लंबे समय तक तुम्हें याद रखेगा।
ओम शांति

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