पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसानों और जाटों ने खो दिया उनका हमदर्द नेता

पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसानों और जाटों के दिलों पर एकछत्र राज करने वाले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के बेटे 83 वर्षीय चौधरी अजीत सिंह ने गुरुग्राम के आर्टिमस अस्पताल में अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कर दिया।

12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में जन्में अजित सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी स्नातक होने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी से अभियांत्रिकी की शिक्षा हासिल की। इसके पश्चात अमेरिका के इलिनायस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से मास्टर आफ साइंस की स्नात्तोकोत्तर उपाधि हासिल की। कम्प्यूटर वैज्ञानिक अजितसिंह ने अमेरिका में रहकर नौकरी भी की।

1960 के दशक में आई.बी.एम. (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मशीन निगम) के साथ काम करने वाले पहले भारतीय थे। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह जी का स्वास्थ्य खराब रहने के कारण पिता की देखरेख हेतु उन्हें 1980 में भारत लौटना पड़ा। 1986 में चौधरी चरणसिंह का स्वास्थ्य ज्यादा खराब हो गया तब चौधरी अजितसिंह को पहली बार राजनीति में प्रवेश के लिये राज्यसभा भेजा गया। साथ ही 1987 में उन्हें लोकदल का अध्यक्ष बना दिया गया।

राजनीति में मुकद्दर का सिकंदर कहलाने वाले अजित सिंह 1989 से लेकर 2014 तक केंद्र में सरकार किसी की भी हो परंतु वह केंद्रीय मंत्री बने रहे। पूरे 25 वर्षों तक। पश्चिमी उत्तरप्रदेश को हरित प्रदेश बनाने के स्वप्न दृष्टा अजितसिंह सन 1989 में बागपत से लोकसभा चुनाव में विजयी होकर लोकसभा पहुंचे और विश्वनाथ प्रतापसिंह जी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में अजितसिंह फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने।

1996 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े और विजयी हुए परन्तु 1997 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर 1997 का उपचुनाव राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार के रूप में ही बागपत से निर्वाचित हुए। 1998 का चुनाव वह बागपत से हार गये परन्तु 1999 में हुए चुनावों में वह फिर विजयी हुए और वर्ष 2001 से 2003 तक अटलजी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। बाद में वह युनाइटेड प्रोग्रेसिव एलांयस, (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) यूपीए का हिस्सा बन गये और 2011 से 2014 तक मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।

बागपत संसदीय क्षेत्र में 7 बार सांसद रहने वाले अजितसिंह जी को राजनीति तो विरासत में मिली थी परंतु उन्होंने उच्च शिक्षित होने के बाद भी सहजता, सरलता और विनम्रता से क्षेत्र के मतदाताओं का मन मोह लिया था। 2014 का लोकसभा चुनाव वह बागपत से हार गये थे। उसके बाद 2019 का चुनाव वह मुजफ्फर नगर से लड़े परंतु वह नाकाम रहे, लगातार दो चुनाव हारने के बाद ऐसा लगा था कि राष्ट्रीय लोकदल का सूर्यास्त होन को है परंतु किसान आंदोलन के दौरान अजित सिंह जी के बेटे चौधरी जयंत सिंह की सक्रिय भूमिका के कारण हाल ही में उत्तरप्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने प्रभावी प्रदर्शन किया और राजनीति के क्षितिज पर पुन: वापसी की है।

हर दिल अजीज और पश्चिम उत्तरप्रदेश के जाटों और किसानों के सर्वमान्य नेता अजितसिंह जी के निधन पर दैनिक अग्निपथ परिवार आदरांजलि प्रकट करता है।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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