उज्जयिनी की वसुंधरा पर फिर लौटकर आना हे महामानव!

कोरोना की इस भीषण त्रासदी ने उज्जैन शहर के एक सरस्वती पुत्र, ज्ञान के साधक 89 वर्षीय प्रकाश उप्पल जी को हम सबसे छीन लिया। 4 सितम्बर 1932 को जन्मे प्रकाश उप्पल जी प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे परंतु वीणापाणि का आशीर्वाद होने से नौकरी के साथ उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी उज्जैन का मान बढ़ाया।

साहित्यकार के साथ वह उच्च दर्जे के कवि भी थे। देश के लब्ध प्रतिष्ठित कवियों डॉ. शिवमंगल सिंह जी सुमन, रामधारी सिंह दिनकर, डॉक्टर भगवतीशरण उपाध्याय, निर्भय हाथरसी, डॉ. प्रभाकर माचवे, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ भी आपने काव्य मंच साझा किये हैं।

देश के ख्यातनाम शहरों अमृतसर, जालंधर, पटियाला, कानपुर, लखनऊ, अजमेर, भीलवाड़ा, पोरबंदर, हैदराबाद, रायपुर, बस्तर, अहमदाबाद, संभलपुर, चित्तौड़, मुम्बई, मैसूर में अपनी कविताओं से काव्य रसिक श्रोताओं का मन मोहने में सफल रहे। एम.ए.बी.एड. शिक्षित श्री उप्पल जी की मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही प्रथम पुस्तक उपवन का प्रकाशन हो गया था।

साहित्य के क्षेत्र में पूरे देश में अलख जगाने वाले उप्पल जी की कविताएँ धर्मयुग (मुंबई), हिंदुस्तान (दिल्ली), नवयुग, सरगम (मुम्बई), संसार (काशी), प्रवाह (अकोला), नयापथ (लखनऊ), माधुरी, वीणा (इंदौर) मृत्युंजय बांग्ला, अध्वांत, शहर चुप नहीं रहेगा जैसे ख्यातनाम पत्र-पत्रिकाओं में उप्पल जी का रचनाएँ प्रकाशित होती थी।

साहित्य लेखन काव्य रचना में महारत हासिल करने वाले उप्पल जी की रचनाओं का पाठ इंदौर, अहमदाबाद, भोपाल, मैसूर के आकाशवाणी केन्द्रों से भी प्रसारण हो चुका है।

शोषित जीवन के विशिष्ट चित्रों को उकेरने वाले जनवादी चितेरे उप्पल जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए पत्रकारिता के उच्च मूल्यों को कायम रखते हुए उप्पल जी ने 1958 से 1961 तक नवभारत, भोपाल-इंदौर संस्करण, एम.पी. क्रॉनिकल के मध्यप्रदेश ब्यूरो चीफ, उज्जैन से प्रकाशित दैनिक संग्राम, दैनिक अवंतिका और दैनिक अग्निपथ में सह संपादन के दायित्वों को निभाया।

उज्जैन के गौरव का कोरोना का ग्रास बन जाने पर उज्जैयिनी के साहित्यक जगत, शिक्षा जगत, काव्य जगत, पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुयी है। दैनिक अग्निपथ ने भी आज अपना आशीर्वाददाता खोया है जिसने पत्रकारिता की उस पीढ़ी को जीवित रख रखा था जो पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को रोशनी दिखाने का कार्य करती है। दैनिक अग्निपथ परिवार श्री उप्पल जी के श्री चरणों में शत-शत प्रणाम करता है और अपनी आदरांजलि प्रकट करता है।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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