हमारे खून-पसीने की गाढ़ी कमाई क्यों बर्बाद कर रहे हो ‘माननीय’

संसद के चल रहे मौजूदा मानसून सत्र को सोमवार तक के लिये स्थगित कर दिया गया है। 19 जुलाई से प्रारंभ हुए सत्र के 9 दिनों में से 7 दिनों में लोकसभा की कार्यवाही मात्र 4 घंटे तो राज्यसभा की कार्यवाही 8 घंटे 20 मिनट ही चल सकी।
16 विपक्षी दल पेगासस जासूसी मुद्दे पर सरकार के बयान की माँग पर अड़े हुए हैं और इस पर चर्चा से कम पर मानने को तैयार नहीं है।

लोकसभा अध्यक्ष माननीय ओम बिडला की भावनात्मक अपील भी बेनतीजा रही। सदन की मर्यादा को तार-तार करने वाली हमारे माननीय सांसदों की कारगुजारियों को हम भारतीय चाय की चुस्कियों के बीच मौन रहकर दूरदर्शन पर देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। सदन की आसंदी पर बच्चों की तरह पर्चें फेंकने की घटना के हम सभी 138 करोड़ भारतीय साक्षी हैं। एक सभ्य, संवेदनशील, जागरूक, अच्छे भारतीय होने के कारण भले ही इन घटनाओं को देखकर हमारा खून खौले परंतु संविधान ने हमारे हाथ-पैर बाँधकर हमें कुछ करने का अधिकार नहीं दिया है।

हम भारतीयों के गाढ़े खून-पसीने की कमाई किस तरह बर्बाद होती है शायद हम में से अधिकांश भारतीय जानते नहीं होंगे? हमारी पवित्र संवैधानिक संस्था लोकसभा और राज्यसभा की प्रतिदिन की कार्यवाही पर लगभग 150 लाख रुपये खर्च होते हैं और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसद के इस मौजूदा सत्र में लोकसभा के 38 घंटे और राज्यसभा के 33.8 घंटे बर्बादी की भेंट चढ़ चुके हैं।

जिस पेगासस जासूसी कांड का जिन्न बोतल से बाहर निकला है जानते क्या है यह? ‘पेगासस’ इजरायल की सायबर आम्र्स फोर्स एन.एस.ओ. द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर है। यह सॉफ्टवेयर मेरे, आपके, किसी भी एंड्राइड फोन पर स्थापित किया जा सकता है। इस स्पाइवेयर का नाम पैराणिक कथाओं में उडऩे वाले पंखों वाले घोड़े के नाम पर रखा गया है।

यह एक ‘ट्रोजन हार्स’ है जिसे आपके एंड्राइड फोन को संक्रमित करने के लिये हवा में उड़ाकर भेजा जा सकता है। वर्ष 2016 तक यह टेक्स्ट मैसेज पढऩे, काल टे्रक और लोकेशन पता करने में ही सक्षम था। 2019 के पहले तक एन.एस.ओ. का स्वामित्व अमेरिका की फर्म फ्रांसिस्को पार्टनर्स के पास था, 2019 में इसे इसके इजरायली संस्थापकों ने वापस खरीद लिया।

स्पाइवेयर कंपनी का कहना है कि हम दुनिया भर के देशों को आंतक और अपराध से निपटने के लिये तकनीकी मदद करते हैं। 23 अगस्त 2020 को इजरायली अखबार ‘हारेत्ज’ ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि एन.एस.ओ. कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य खाड़ी राज्यों को उन देशों के राजनैतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों की निगरानी के लिये करोड़ों अमेरिकी डॉलर में पेगासस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर बेचा है।

इजरायली समाचार पत्र हारेत्ज ने उसकी खबर का सूत्र प्राप्त खुफिया जानकारी बताया। साथ ही भी खुलासा किया कि वर्ष 2013 के पूर्व से ही संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों द्वारा इस पेगासस का उपयोग किया जा रहा है। वर्ष 2019 के अंत में फेसबुक ने एन.एस.ओ. कंपनी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया कि पेगासस का इस्तेमाल भारत में राजनैतिक कार्यकर्ताओं, नौकरशाहों, पत्रकारों के एंड्राइड फोन के ‘व्हाटसअप’संचार को बाधित करने के लिये किया जा रहा है।

इसी माह जुलाई 2021 में मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा गहन विश्लेषण के साथ प्रोजेक्ट पेगासस का खुलासा किया जिसमें बताया गया कि भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पूर्व चुनाव आयुक्तों, पत्रकारों के फोन नंबर 2021 में प्रोजेक्ट पेगासस द्वारा एन.एस.ओ. ट्रेकिंग स्पाइवेयर के डेटाबेस में पाये गये हैं। इससे इस बात को बल मिलता है कि पेगासस का उपयोग करके भारत की सरकार अपने अति विशिष्ठ लोगों के साथ भारतीय पत्रकारों के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ ईरान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, सऊदी अरब के राजनायिकों की जासूसी करवा रही है। स्पाइवेयर के डेटाबेस में 50 हजार मोबाइल नंबर संग्रहित पाये गये हैं।

इस खुलासे के बाद देश की राजनैतिक पार्टियों और मीडिया में भूचाल आ गया है। भारत की सरकार ना तो इंकार कर पा रही है ना ही स्वीकार कर पा रही है इसी उहापोह में होने के कारण विपक्षी दलों को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। यदि लोकसभा में स्वीकार करती है कि जासूसी की अनुमति उसने दी है तो यह एक गंभीर मामला होगा और नागरिकों की निजता का हनन माना जायेगा, आने वाले दिन में पेगासस का यह राजनैतिक तूफान और गति पकड़ेगा क्योंकि विपक्षी दल इसे सबसे परिष्कृत स्मार्ट फोन हमला कह रहे हैं।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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