साहब बहादुरों! फतेहाबाद मार्ग पर कब दौड़ेगी पैसेन्जर ट्रेन?

यह सिर्फ मेरे ही वतन हिंदुस्तान में ही हो सकता है कि प्रजातंत्र में जनता के नुमाइन्दे और कलयुगी राजा-महाराजाओं की व्यस्तता के कारण विगत 8 वर्षों से अधिक समय से बंद पड़े मऊ-रतलाम रेलखंड पर यात्री रेलगाडिय़ों का परिचालन शुरू नहीं हो पा रहा है। देश को गौरवान्वित करने वाला दक्षिण भारत को उत्तर भारत को जोडऩे वाला यह मीटरगेज रेलखंड अपने आप में अद्वितीय था।

महाराजा होल्कर ने अँग्रेज हुकूमत से 28 अप्रैल 1870 को एक समझौते के तहत दी थी देश को मीटरगेज लाइन की सौगात। इतना ही नहीं मीटरगेज लाइन को होल्कर स्टेट का नाम देने के लिये महाराजा होल्कर ने तत्कालीन अँग्रेज सरकार को 1 करोड़ रुपए का ऋण भी दिया था। हैदराबाद के काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन को जयपुर से जोडऩे वाली यह ट्रेन अँग्रेजों के लिये इसलिये भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह सेना की दो छावनियों महू MHOW (मिलेट्री हेडक्वार्टर ऑफ वार) को अजमेर के नजदीक स्थित नसीराबाद सैनिक छावनी को भी आपस में जोड़ती थी। इनके मध्य केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की छावनी नीमच में भी पड़ती थी।

1435 मिलीमीटर या 4 फुट 8 1/2 इंच चौड़े रेलवे टे्रक का अविष्कार ब्रिटिश अभियंता जार्ज स्टीफन्स ने कोयला खदानों के लिये किया था। सन् 1870 में यह मीटरगेज टे्रक बनकर तैयार हुआ था और 1 फरवरी 1874 में इसे प्रारंभ कर दिया गया था। वर्षाकाल में इस ट्रेन में महू से अकोला के बीच अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन होते थे। ईश्वर ने अपने दोनों हाथों से मीटरगेज के इस टे्रक पर खूबसूरती बिखेरी है। घने जंगल, झरने, पहाड़ सभी को इस टे्रन में बैठकर निहारा जा सकता था।

फिल्म निमार्ताओं को भी इस रेलवे ट्रेक ने आकर्षित किया और सन् 1958 में गंगा-जमुना फिल्म की शूटिंग यहाँ पर हुयी जिसमें पाताल पानी रेलवे स्टेशन और यहाँ स्थित झरने को दर्शाया गया है। इस रेलवे टे्रक पर इंदौर व रतलाम मार्ग पर उज्जैन जिले की बडऩगर तहसील है जहाँ के हजारों नागरिकों के लिये यह ट्रेन जीवन रेखा के समान है।

बडऩगर से उज्जैन-इंदौर या रतलाम जाना हो तो कम समय और कम खर्च में रेल एक सुरक्षित साधन था। 31 दिसंबर 2013 को इस रेलखंड पर अंतिम मीटरगेज ट्रेन ने अपना सफर पूरा किया था। 8 वर्ष बीत चुके हैं। पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल क्षेत्रान्तर्गत उज्जैन-फतेहाबाद खंड पर अमान परिवर्तन कर मीटरगेज को ब्रॉडगेज में बदला जा चुका है।

जिसका सीआरएस सर्वे भी पूर्ण हो चुका है। यात्री गाडिय़ों को चलाने की अनुमति भी इस खंड पर प्राप्त हो चुकी है, मालगाडिय़ों का परिचालन भी प्रारंभ कर दिया गया है। नेताओं की व्यस्तता के कारण लोकार्पण समारोह की रस्म अदायगी नहीं हो पा रही है जिसके कारण रेलवे को भी प्रतिदिन हजारों का नुकसान हो रहा है।

वहीं इस खंड पर पडऩे वाले ग्रामों के निवासियों को भी अनावश्यक परेशानियाँ झेलनी पड़ रही है। नागरिकों की आँखें पथरा रही है इस मार्ग पर यात्री टे्रनों का परिचालन देखने के लिये। नागरिकों के सब्र का पैमाना छलक जाए इसके पूर्व ही क्षेत्रीय सांसद को मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए तत्काल ही केन्द्रीय रेलमंत्री से इस मार्ग के लोकार्पण की रस्म अदायगी पूरी करवा लेना चाहिये यदि इसमें देरी हुयी तो मिलने वाला यश अपयश में बदल जायेगा।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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