हम चुप रहेंगे (13 दिसंबर 2021)

जिहाद …

लव- जिहाद की नई शाखा तंत्र जिहाद का खुलासा 2 हफ्ते पहले किया था। मगर, भगवाधारी- फूलपेंटधारी और कमलप्रेमी चुप है। क्यों … हमको पता नहीं है। ताज्जुब की बात यह है कि तंत्र जिहाद वाले एक बाबा तो विज्ञान को भी मात दे रहे हंै। सोशल मीडिया पर गर्भ- धारण करने की अनोखी विधि बता रहे है। ताकि आसानी से उन औरतों को फंसा सके, जो कि औलाद सुख से वंचित है। बहरहाल जब भगवाध्वज के रक्षक ही इस जिहाद पर चुप हंै। तो हम कौन होते हंै, फटे में टांग अडाने वाले। हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

भारी …

कोठी के गलियारों में चर्चा है। एक ग्राम देवता सभी पर भारी। अपने विकास पुरूष से लेकर उम्मीद जी तक। इस ग्राम देवता की विशेष योग्यता है। कम्प्यूटर का ज्ञान होना। जिसके चलते यह अपने उम्मीद जी के आदेश पर भी भारी पड़ रहा है। हालांकि उम्मीद जी, अपने आदेश में एक तरफा सभी को कार्यमुक्त कर चुके है। लेकिन यह ग्राम देवता उस आदेश पर भी भारी पड़ रहा है। ऐसी चर्चा ग्राम देवताओं के बीच सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी अदत के अनुसार चुप रह सकते हंै।

सफेद झूठ …

अपने पपेट जी, सफेद झूठ भी बोलते हैं। इसका खुलासा 1 नम्बरी पूर्व नगर सेवक ने किया है। जिनको फोन करके बुलाया गया था। बताया कि …पपेट जी सभी सत्तादल से जुड़े पूर्व नगर सेवकों से मिलना चाहते है। 1 नम्बरी नगर सेवक तय समय पर मेला कार्यालय पहुंच गये। मगर वहां उनके सिवा, कोई नगर सेवक नहीं था। पपेट जी ने उनसे वार्ड की समस्यां पूछी और तत्काल निराकरण के निर्देश दिये। लेकिन उसके बाद किसी भी नगर सेवक को नहीं बुलाया।

बस … 1 नम्बरी वार्ड की समस्याओंं का निराकरण करवा दिया। जिसका फल भी अपने पपेट जी को मिला। सफाई कामगारों की हड़ताल टल गई। अब बाकी कमलप्रेमी पूर्व नगर सेवक, अपने पपेट जी के इस सफेद झूठ की चर्चा कर रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गायब …

बचपन में जादू का खेल सभी ने देखा होगा। जिसमें जादूगर अपने हेट (टोपी) से कुछ निकालता था और फिर गायब कर देता था। बिलकुल वैसा ही अब शिवाजी भवन में हुआ है। अंदरखाने की खबर यही है कि अपने पपेट जी के, अवैतनिक खास सलाहकार अब, जादू के जोर से गायब हो गये। अब उनकी वापसी की संभावना पूरी तरह से शून्य है।

शिवाजी भवन के गलियारों में तो यह चर्चा शुक्रवार की शाम से पहले ही सुनाई दे रही थी। अब देखना यह है कि मंगलवार को अवैतनिक सलाहकार प्रकट होते है या गायब ही रहते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

ड्रामा …

पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर खूब ड्रामा हुआ। ड्रामा इस्तीफे को लेकर था। जिसको लेकर पंजाप्रेमियों में खूब चर्चा है। सब अपने-अपने कयास लगाकर चटकारे ले रहे है। मगर अपनी बुआजी के इस कदम से अपुन खुश है। आखिर बुआजी ने हिम्मत तो दिखाई। क्योंकि किसी शायर ने खूब कहा है कि … कुछ ना कहने से भी छिन जाता है एजाजे सुखन/ जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है। लेकिन अपनी बुआजी ने जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई। अब पंजाप्रेमी भले ही कुछ भी कयास लगाये… कुछ भी बोले… हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

चपत …

शादी-ब्याह का सीजन है। 10 और 20 के नोट की गड्डी मिल नहीं रही। एक व्यापारी ने इसको धंधा बना लिया। मुनाफे वाला। दाल-बिस्किट वाली तहसील के व्यापारी है। शहर के प्रमुख मार्ग पर इनकी स्टेशनरी की दुकान है। गड्डी ब्लैक में बेचना इनका पार्ट टाईम धंधा है। मगर इस बार फंस गये। एक गैंग ने उनका वीडियों बना लिया। सौदेबाजी करते हुए।

यह वहीं गैंग है, जिसने ताजा-ताजा एक महिला ग्राम देवता को भी फंसाया था। उसके 7 दिन पहले व्यापारी शिकार हो गये थे। वीडियों वायरल की धमकी देकर डेढ पेटी में सौदा पटा लिया। व्यापारी की इज्जत बच गई- गैंग को राशि मिल गई। जिसके बाद सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

उपहार …

राजनीति में कोई भी पद उपहार में नहीं मिलता है। इसके पीछे कार्यकर्ता का संघर्ष या फिर अपने आका नेता को दिया गया गोपनीय उपहार होता है। जो वक्त आने पर आका नेता, पद देकर उस उपहार की अदायगी करता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें इशारा अपने विकास पुरूष की तरफ है। जिन्होंने अभी-अभी नारी शक्ति को मोर्चे का मुखिया बनाया है।

कमलप्रेमी इसे उपहार बता रहे है। जिसके पीछे कारण कुछ साल पहले सोशल मीडिया पर हुई चेटिंग से जुड़ा है। इस चेटिंग के चक्कर में अपने असरदार जी लपेटे में आ गये थे। उस वक्त चेटिंग हासिल करवाने में, अभी-अभी नियुक्त हुई पदाधिकारी ने मदद की थी। जिसके बदले में उनको अपने विकास पुरूष ने उपहार दिया है। अब फैसला अपने स्व-विवेक से हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना हैं।

शोक …

लोग तो मरते रहते हंै। हर रोज मरते हैं। मरने वालो के चक्कर में अपनी खुशी, क्यों छोड़ें? ऐसा हम नहीं, बल्कि वह कमलप्रेमी बोल रहे है। जिन्होंने अभी-अभी अपने बडबोले नेताजी का प्रकट उत्सव ग्रामीण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया है। वजह … अपने बडबोले नेताजी के ही निर्देश थे। फिर भले ही देश 13 शहीदों की अकास्मिक मौत पर राष्ट्रीय शोक मना रहा था। दिनभर देशभक्ति के ही गीत आकाशवाणी पर बजते रहे।

मगर बडबोले नेताजी को अपने प्रकट उत्सव की ज्यादा चिंता थी। इसीलिए तो उन्होंने राष्ट्रीय शोक को भी खुशी में बदल दिया। दिनभर हार-फूल- तालिया- उद्बोधन चलते रहे। एक बार फिर बडबोले नेताजी ने नहीं सोचा? राष्ट्रीय शोक है… अगले साल प्रकट उत्सव मना लेंगे। अब अगर कमलप्रेमी, अपने बडबोले नेताजी की बुद्धि पर सवाल उठा रहे हंै। तो इसमें हम क्या कर सकते हंै। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते हंै।

– प्रशांत अंजाना

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