हम चुप रहेंगे (24 जनवरी 2022)

पेंट …

पाठक यह नहीं समझे। हम रंग वाले पेंट की बात कर रहे हंै। यहां पर हम पहनने वाली पेंट की बात कर रहे है। जिसकी तलाशी लेने के चक्कर में एक ग्रामीण विभाग के अधिकारी, रंगे हाथों ट्रेप हो गये। यह अधिकारी अकसर रिश्वत की बात करने से पहले, सभी के फोन बंद करवाकर रख देते थे। बातचीत हो जाती, जब राशि देने की बारी आती। तब यह अकसर देने वाले की पेंट की तलाशी भी लेते थे। कहीं कुछ और राशि तो नहीं छुपा रखी है। एक फरियादी के साथ यही हुआ। उनकी पेंट से राशि निकाल ली। यह बात चुभ गई। नतीजा … फरियादी ने शिकायत कर दी। सबूत भी दे दिये और पेंट की तलाशी लेने वाले साहब ट्रेप हो गये। ऐसी चर्चा ग्रामीण कर रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दाम …

हमारा आशय उस दाम से नहीं है। जो लेनदेन में होता है। यहां पर मतलब एक पुरानी कहावत से है। नई घोड़ी- नया दाम। बचपन में यह खेल सभी ने खेला होगा। बीच खेल में अगर कोई नया सदस्य आ जाये। तो उसको ही दाम देना पड़ता था। कमलप्रेमियों की नई कार्यकारिणी के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। अपने ढीला-मानुष ने लंबे इंतजार के बाद नई टीम बनाई। अपने आराधना प्रेमी हट गये। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया था। नई टीम ने उनसे यह पेज मांग लिया। आराधना प्रेमी ने शर्त रख दी। मेरा नाम भी प्रेसनोट में जायेगा। नई टीम ने मना कर दिया। आराधना प्रेमी ने पेज देने से मना कर दिया। अब नई टीम में नया पेज बनाया है। सबको रिक्वेस्ट भेज रहे है। इधर कमलप्रेमी बोल रहे हंै। नई घोड़ी- नया दाम। जिसमें हमारा क्या काम। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

लड़ सकती हूं…

तो अपनी पंजाप्रेमी बुआजी ने दिखा दिया। वह अकेले भी लड़ सकती है। भले ही उनको बाकी पंजाप्रेमियों का साथ नहीं मिले। 3 घंटे पानी में खड़े रहकर साबित किया। अब यह बात अलग है। कुछ पंजाप्रेमी उनकी लड़ाई को नौटंकी बता रहे है। इधर अपनी बुआजी, पंजाप्रेमी नेत्रियों से नाराज है। रि-टिवट् नहीं करने को लेकर। तभी तो बुआजी ने चेतावनी जारी कर दी। काम नहीं करने वालो को बदला जायेगा- ब्लैक लिस्टेड भी किया जायेगा। इसका सीधा मतलब यह है कि बुआजी दोहरी लडाई लड़ रही है। पार्टी के अंदर और बाहर। देखना यह है कि वह कब तक लड़ सकती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

धोक देना …

मालवी भाषा में धोक देना अकसर सुनने में आता है। जिसका मतलब … किसी प्रभावशाली के घर जाकर उनकी कृपादृष्टि पाना होता है। ऐसा शिवाजी भवन के गलियारों में बोला जा रहा है। इशारा अपने पपेट जी की तरफ है। जो कि इन दिनों अपने विकास पुरूष- वजनदार- पहलवान तक तो ठीक, मंगलनाथ वाले बाबा के घर तक जाकर धोक दे रहे है। इसके पीछे क्या कारण है। यह तो केवल अपने पपेट जी ही बता सकते हैं। जो इसको लेकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

समझौता …

हमारे पाठकों को याद होगा। सन् 2017 का एक पिटाई- कुटाई कांड। घटना स्थल भरतपुरी क्षेत्र था। जमीन से जुड़ा मामला था। जिसमें अपने उदासीन बाबा की ना केवल कुटाई हुई थी, बल्कि उन पर हथियार से वार भी हुआ था। इस कांड को लेकर खूब विवाद मचा था। वर्दी पर सवाल उठे थे। आखिरकार इस मामले में 2021 के अंत में नया मोड़ आ गया। वर्दी व कमलप्रेमियों में चर्चा है कि …अपने उदासीन बाबा ने कुटाई-पिटाई करने वालो से समझौता कर लिया है। जिसकी चर्चा कमलप्रेमी अब चटकारे लेकर कर रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गुलाबी …

रंग गुलाबी का महीना जल्दी ही आने वाला है। प्यार के गुलाबी रंग वाला फरवरी महीना। मगर हम, यहां प्यार वाले गुलाबी रंग की बात नहीं कर रहे है। हम तो उस गुलाबी- पास की बात कर रहे है। जो इन दिनों बाबा के दरबार में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह गुलाबी पास केवल और केवल अपने फूलपेेंटधारियों के लिए विशेष तौर पर बनाया गया है। इस पास को दिखाते ही गेट 13 से स्पेशल इंट्री हो जाती है। कोई रोक-टोक नहीं होती। राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ती है। मगर यह सुविधा केवल फूलपेंटधारियों के लिए है। बाकी खबरचियों से लेकर दूसरी पंक्ति के कमलप्रेमी नेताओं को यह सुविधा हासिल नहीं है। इनको दर्शन करवाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। फूलपेंटधारी मुखिया किसी को तवज्जों नहीं देते है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही हंै। लेकिन फूलपेंटवाले मुखिया के आगे सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

मुसीबत …

बिन बुलाये आई एक मुसीबत ने कोठी के गलियारों में हडक़ंप पैदा कर दिया है। जिसकी चर्चा शिवाजी भवन तक है। मामला सप्तसागरों में से 1 सागर से जुड़ा है। जिसको लेकर राजधानी से नोटिस जारी हुए हैं। जिसमें अपने सूरज जी- मंद-मुस्कान जी- दिव्यकेशधारी और 6 अंगूठी वाले पंडित जी शामिल हैं। इन सभी को अगले महीने के अंतिम दिन राजधानी में हाजिरी देनी है। जिसके बाद फैसला होगा? इन सभी के भविष्य का? इस बीच यह चर्चा भी है कि … अपने सूरज जी का बाल- बांका नहीं होने वाला है। बाकी तीनों पर गाज गिरने की चर्चा खूब सुनाई दे रही है। देखना यह है कि इस साल के तीसरे महीने की शुरूआत में क्या रिजल्ट आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

चेलेंज …

अपनी बुआजी ने चेलेंज दिया था। शिप्रा के गंदे पानी आचमन को लेकर। जिसे राजधानी में बैठे एक कमलप्रेमी प्रवक्ता ने स्वीकार भी कर लिया। मगर एक शर्त के साथ। शर्त यह रखी कि मंदिर के समीप लगी मांस-मटन की दुकानों को हटवा देना। टिवट्र पर पोस्ट भी अपलोड कर दी। मगर शहर के कमलप्रेमियों को यह बात पसंद नहीं आई। उनकी निगाह में यह बुआजी को भाव देने वाली बात थी। नतीजा … प्रदेश संगठन मुखिया तक बात पहुंची। उनकी सलाह के बाद मामला टांय-टांय फिस्स हो गया। टिवट्र से पोस्ट हटा दी गई। जिसके बाद सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रिकार्ड …

वैसे तो हर अधिकारी की इच्छा यही होती है। वह रैंकिंग के मामले में टॉप पर रहे। ज्यादा नहीं तो अंडर-10 में रहे। मगर अपने पपेट जी ने नया रिकार्ड बना दिया है। वह भी दूसरी बार। हेल्पलाइन की रैंकिंग में। लगातार 2 महीने में शिवाजी भवन की रैंकिंग सबसे अंतिम पायदान पर अटकी हुई है। एक भी पायदान आगे नहीं बढ़ी है। तभी तो शिवाजी भवन में उनके इस रिकार्ड को लेकर सवाल उठ रहे है। मगर, अपने पपेट जी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह मस्त हैं और चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

मेहरबान …

किसी फुलपेंटधारी पर वर्दी किस तरह मेहरबान होती है। इसका उदाहरण है चायना डोर वाली घटना। जिसमें वर्दी ने दिखाने के लिए फुटकर व्यापारी पर कार्रवाई कर दी। लेकिन थोक व्यापारी की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा। इसके पीछे कारण केवल यह है कि … थोक व्यापारी … फूलपेंटधारी है। इसीलिए वर्दी मेहरबान हो गई। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस … अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

मेरी पसंद …

हर शख्स फरिश्तों की जुबां बोल रहा है/ मैं एक अकेला ही गुनहगार बचा हूं।
जनाब … शाह जहान शाद ।।

– प्रशांत अंजाना

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