हम चुप रहेंगे (4 अप्रैल 2022)

10 नम्बरी…

हमने पिछले सप्ताह लिखा था। अपने पपेट जी की परीक्षा को लेकर। इशारा स्वच्छता की तरफ था। जिसमें अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। देश की राजधानी से कभी भी परीक्षकों की टोली आ सकती है। मगर, उनको क्या दिखायेंगे? इस यक्ष प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है। शिवाजी भवन में तो यही चर्चा है। बल्कि यहां तक बोल रहे है कि 21 में हम 10 नम्बरी थे। इस बार यह नम्बर बजाय घटने के और ज्यादा बढ़ सकता है। जिसकी संभावना पूरी तरह साफ-साफ नजर भी आ रही है। अब देखना यह है कि 10 नम्बरी से हम कितना आगे बढ़ते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

टक्कर …

एक बार हमने इसी कालम में लिखा था। अपने पपेट जी को लेकर। जिसमें यह उल्लेख था कि उनको अपनी कुंडली किसी जानकार को दिखानी चाहिये। ताकि ग्रह-दोष का निराकरण करवा सके। मगर हमारी यह सलाह शिवाजी भवन को पसंद नहीं आई। इस बीच नये वर्ष के दिन उनके वाहन को एक बस ने टक्कर मार दी। हरिफाटक रोड पर। जिसके बाद अपने पपेट जी ने परिवहन मुखिया को फोन भी लगाया। आपत्ति दर्ज कराई। ऐसी चर्चा परिवहन विभाग में सुनाई दे रही है। भगवान महाकाल की कृपा रही। कोई बड़ी घटना नहीं हुई। जिसके लिए बाबा महाकाल का आभार मानते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सख्ती …

अपने कप्तान पहली नजर में बिलकुल सीधे-सादे सरल नजर आते है। मगर जब बात फर्ज निभाने की हो, तो वह नारियल की तरह कठोर हो जाते है। शनिवार को रामघाट पर कुछ ऐसा ही हुआ। कप्तान ने इस कदर सख्ती दिखाई कि … कमलप्रेमी प्रदेश प्रवक्ता की सारी कोशिश बेकार गई। प्रवक्ता ने मंच पर जाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। लेकिन कप्तान ने उनकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया। थक-हार कर प्रदेश प्रवक्ता ने अपनी इज्जत बचाने के लिए चुप रहना ही ठीक समझा। तो फिर हम भी उनकी इज्जत को ध्यान में रखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मुसीबत …

बाबा के दरबार में अपने फूलपेंटधारी ने कसम खा ली है। कसम नहीं सुधरने की है। जिसके चलते उनसे हर कोई दु:खी है। कमलप्रेमी भी और कोठी वाले भी। मगर अब अपने फूलपेंटधारी को घेरने की तैयारी होने लगी है। इस कडी में पहला कदम अपने वजनदार जी ने उठाया है। जिन्होंने अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। अंदरखाने की खबर है कि जल्दी ही अपने विकास पुरूष और पहलवान भी अपने-अपने प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते है? अगर ऐसा हुआ तो नया इतिहास बन जायेगा। जब मंदिर में समिति के अलावा 3 अन्य प्रतिनिधि नियुक्त होंगे। इनका काम एकमात्र यही होगा। किसी भी तरीके से फूलपेंटधारी को घेरे। मुसीबत पैदा करे। देखना यह है कि अपने फूलपेंटधारी पर मुसीबत आखिर कब आती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

समझदारी या डर …

शनिवार को अपने मामाजी शिप्रा तट पर थे। जहां उनका नौका-विहार का भी कार्यक्रम था। अब मामाजी नौका-विहार करे तो बाकी सब भी उस नौका में बैठते है। दीपोत्सव पर यही हुआ था। मगर इस बार अपने वजनदार जी ने ऐन वक्त पर इरादा बदल दिया। यह देखकर वहां मौजूद सभी आश्चर्य में पड गये। आखिर वजनदार जी ने यह कदम क्यों उठाया? वैसे भी वह अपने मामाजी के प्रिय है। फिर भी उन्होंने दूरी बनाई। जिसको लेकर अब कमलप्रेमी बोल रहे है। अपने वजनदार जी ने अपने वजन के चलते इरादा बदला। अगर ऐसा है तो हम उनकी समझदारी को सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चिंता …

सयाने लोगों का कहना है। चिंता हमेशा चिता समान होती है। इन दिनों अपने कप्तान चिंतायुक्त है। जिसकी वजह उच्च स्तर से आये निर्देश है। निर्देश अपने मामाजी की सुरक्षा को लेकर है। राजधानी से साफ-साफ कहा गया है। मामाजी के आसपास केवल प्रोटोकॉल के तहत माननीयों को ही रहने दिया जाये। उसके अलावा किसी की इंट्री नहीं होगी। वरना, परिणाम भुगतने को तैयार रहे। इधर अपने कमलप्रेमी हर जगह घुसने में माहिर है। कोई मौका नहीं छोड़ते है। देखना यह है कि अपने कप्तान इस चिंता से मुक्त होने का कौनसा रास्ता निकालते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अशुभ…

5 का अंक इन दिनों अपनी वर्दी के लिए अशुभ साबित हो रहा है। हमारी बात पर भरोसा नहीं है। तो पिछले महीने की एक घटना याद दिलाते है। जिसमें 5 पेटी की डिमांड करने वाली मैडम का मामला उजागर हुआ था। नतीजा हाथो-हाथ डिमांड वाली मैडम की रवानगी हो गई। अब एक बार फिर 5 पेटी डिमांड का मामला सामने आया है। शिकायतकर्ता कमलप्रेमी युवा नेता है। जो कि अपने मामाजी की हूबहू आवाज निकालकर चर्चित हो चुके है। उन्होंने वर्दी पर आरोप लगाया है। 5 पेटी अंक वाला। नतीजा मामला राजधानी तक पहुंचा है। संभवत: मामाजी से मुलाकात का समय भी निर्धारित हो गया है। वर्दी भी दबी जुबान से मान रही है। गलती हुई है। अब देखना यह है कि 5 के इस अशुभ अंक से वर्दी कैसे और कब तक पीछा छुडाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आदेश …

भले ही शासन और अपने उम्मीद जी ने आदेश निकाल दिया है। अटैचमेंट खत्म करो। खासकर शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का। लेकिन अपनी घमंडी मैडम ने इस आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। शिक्षा विभाग के गलियारों में तो यही चर्चा है। इशारा 2 तालाब के समीप स्थित स्कूल की तरफ है। जहां पर पिछले दिनों एक सांप भी निकला था। स्कूल में एकमात्र प्यून है। जो अटैच है। नतीजा पूरा महिला स्टाफ परेशान है। पत्राचार भी हो चुका है। कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसलिए महिला स्टाफ चुप है। तो हम भी चुप हो जाते है।

चलते-चलते …

शिवाजी भवन में चर्चा है। शहर की शान स्वामी मुस्कुराके की पेटिंग जब एयरपोर्ट रोड पर बन सकती है। स्वच्छता अभियान के तहत। तो हमारे शहर में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। चर्चा में दम है… मगर हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहने पर मजबूर है।

– प्रशांत अंजाना

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