शासकीय हाईस्कूल थांदला के सैकड़ों छात्रों ने किया घेराव
झाबुआ, अग्निपथ। जिले के शासकीय हाईस्कूल थांदला से 1 सितंबर, गुरूवार को सुबह तेज बारिश के बीच भीगते हुए बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं नारेबाजी के साथ निकले, जो शाम करीब 5 बजे तक जिला मुख्यालय झाबुआ पहुंचे और उन्होंने कलेक्टोरेट पहुंचकर अपनी मुख्य मांग लंबे समय से छात्रृवत्ति नहंी मिलने को बुलंद किया। इस दौरान विद्यार्थियों ने मांगों के संबंध जमकर नारेबाजी भी की।
मिली जानकारी के अनुसार थांदला से यह छात्र-छात्राएं अपनी मांगों को लेकर रैली के रूप में ही पैदल निकल गए, जो रास्ते में भीगती बारिश और नारेबाजी के बीच ही करीब 30 किलोमीटर का सफर तय करते हुए भूखे-प्यासे कलेक्टोरेट पहुंचे। इस बीच चार छात्रों के भूख-प्यास और ज्यादा चलने से गश खाकर बेहोश होने की भी खबर मिली है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्य़ार्थियों ने बताया कि उनकी मुख्य मांग छात्रवृत्ति को लेकर है, जो उन्हें पिछले लंबे समय से नहीं मिली है। जिसके कारण उन्हें काफी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। विद्यार्थियों के पास फिस भरने और बााजर से स्टेशनरी सामग्री खरीदने तक के पैसे नहीं है।
बच्चों के साथ ना तो प्राचार्य और ना ही शिक्षक-शिक्षिकाएं
इस दौरान बड़ी लापरवाही यह भी सामने आई कि विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं के साथ उन्हें स्कूल वाहन या निजी वाहन से जिला मुख्यालय कलेक्टोरेट लाने के लिए ना तो प्राचार्य और ना ही संस्था के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कोई जुहूमत उठाई। छात्र बारिश के बीच ही भीगते हुए नारेबाजी करते हुए कलेक्टोरेट पहुंचे।
छात्रों ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ‘‘हम हमारा अधिकार मांगते नहीं किसी से भीख मांगते हैं’’ के नारे लगाते हुए यहां संबंधित विभाग के अधिकारी से मिलकर अपनी समस्या बताई। बाद अपने गंतव्य स्थल की ओर रवाना हुए।
राष्ट्रीय किसान संगठन ने जताया विरोध
छात्रों के हित में राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेश प्रवक्ता परमजीतसिंह एवं मेघनगर ब्लॉक अध्यक्ष कलसिंह मचार ने कहा कि हाल ही जिले के दौरे पर मप्र शासन के उच्च शिक्षा मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री आए थे, जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ भाजपा के जनप्रतिनिधियों तथा नेता-पदाधिकारियों ने उन्हें केवल अपनी उपलब्धियां गिनाकर जिले से प्रस्थान करवाया, लेकिन धरातल स्थल पर जिले के स्कूलों और कॉलेजों में जो वर्षों से बाहर से अध्ययन के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं को छात्रृवत्ति नहीं मिल रहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों में भवनों से पानी टपक रहा है, तो कहीं अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। कहीं स्कूलों में शिक्षक-शिक्षिकाओं का अभाव है, तो कहीं होकर भी वह समय पर नहीं आते है। उसकी ओर ना तो प्रभारी मंत्री, ना जिला प्रशासन और ना ही संबंधित आदिम जाति कल्याण विभाग और जिला शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है, जिसके कारण आज बच्चों को स्वयं ही सडक़ों पर उतरकर अपना हक मांगना पड़ रहा है। राष्ट्रीय किसान संगठन की ओर से शासन-जिला प्रशासन की इस लापवाही पर विरोध प्रकट किया गया।