अर्जुन के बाण: सोये हुए काँग्रेसियों को जगाने में सफल होती दिख रही राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’

138 वर्ष पुरानी काँग्रेस पार्टी जिसकी देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी वर्तमान में शायद सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। यदि यह कहा जाए कि राजनैतिक रूप से वह वेन्टीलेटर पर होकर गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। किसी समय पूरे भारत में राज करने वाली काँग्रेस पार्टी देश के 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों में से मात्र दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक ही सिमट कर रह गयी है। संसद में लोकसभा की 543 सीटों में से काँग्रेस के पास मात्र 53 सीटें ही है। भारतीय जनता पार्टी के नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू भारतीयों के सिर चढक़र बोल रहा है। वर्तमान समय काँग्रेस पार्टी के लिये अपने अस्तित्व को बचाये रखने का समय है।

इन परिस्थितियों में काँग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी का कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग 3570 किलोमीटर की पदयात्रा का निर्णय बहुत ही सूझबूझ भरा साहसिक और चुनौतीपूर्ण माना जायेगा। भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता के तिलस्म को तोडऩे का इससे बेहतर और कोई रास्ता हो ही नहीं सकता था। भले ही सार्वजनिक मंचों पर राजनैतिक दल राहुल की इस पदयात्रा का उपहास उड़ा रहे हो या इस पदयात्रा को निरर्थक बता रहे हो परंतु हकीकत में राहुल की पदयात्रा में उमडऩे वाली जनमैदिनी ने राजनैतिक दलों की नींद उड़ा रखी है।

राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का कितना राजनैतिक लाभ काँग्रेस पार्टी को मिलेगा यह कहना तो जल्दबाजी होगा फिर भी 12 राज्यों से गुजरने वाली 150 दिनों की इस भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गाँधी को पहली बार गंभीर राजनैतिक नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। राहुल गाँधी अपने भाषणों में भाजपा पर अब तीखा प्रहार करते दिखायी दे रहे हैं। लोकसभा-राज्यसभा में अपनी बात कहने और विरोधी दल पर हमला करने में लचर नजर आ रही काँग्रेस सडक़ों पर ज्यादा मुखर और तीक्ष्ण नजर आ रही है। राहुल को सुनने सभाओं में जुट रही भीड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

जनआंदोलन का रूप ले चुकी इस भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गाँधी ‘अर्जुन’ की तरह ‘मछली की आँख’ पर ही निशाना लगा रहे हैं। वह केन्द्र में आसीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर मूल्यवृद्धि, बेरोजगारी और देश में बिगड़ रहे साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये कसूरवार ठहरा कर उसे जनता की अदालत में कठघरे में खड़ा करने में सफल साबित हो रहे हैं।

शायद इस तरह की पदयात्रा देश आजाद होने के पहले राष्ट्रपति महात्मा गाँधी ने छोटे-छोटे हिस्सों में की थी। आजादी के बाद किसी राजनैतिक दल के नेता द्वारा आयोजित की जाने वाली इतनी लम्बी पहली पदयात्रा है। इस भारत जोड़ो यात्रा की परिकल्पना संजोने वाला जो भी नेता हो उसने बहुत दूरगामी परिणामों की कल्पना की होगी। इस पदयात्रा से राहुल की लोकप्रियता में कितनी वृद्धि होगी या काँग्रेस को भविष्य में होने वाले राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भले ही लाभ ना मिले परंतु राहुल की इस भारत जोड़ो यात्रा ने लम्बे समय से सोये हुए काँग्रेसियों को नींद से जगा दिया है।

कुछ काँग्रेसी नेता तो शायद कब्रों से निकलकर उत्साह के साथ राहुल के साथ कदमताल करते हुए नजर आ रहे हैं। राहुल की यात्रा को मिल रही अपार सफलता से उत्साहित काँग्रेसी एक जाजम पर नजर आ रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा में नागरिकों के मिल रहे समर्थन को देखते हुए काँग्रेस आगामी 2023 में उत्तर से दक्षिण (कश्मीर से कन्याकुमारी) की तर्ज पर पूर्व से पश्चिम (गुजरात के पोरबंदर से अरुणाचंल प्रदेश के परशुराम कुंड) तक भी भारत जोड़ो यात्रा निकालेगी।

आदमी बलवान नहीं होता बलवान होता है ‘समय’ और वर्तमान समय भारतीय जनता पार्टी का और उसके नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है। आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक रूप से लोकप्रियता के चरम पर पहुँची भाजपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में टक्कर देना काँग्रेस के लिये असंभव सा नजर आ रहा है। मोदी जी की व्यक्तिगत लोकप्रियता और हिमालयीन व्यक्तित्व के आगे राहुल की लोकप्रियता और कद बौना नजर आ रहा है, परंतु काँग्रेस के पास इस समय खोने के लिये कुछ भी नहीं है उसे इस भारत जोड़ो यात्रा से कोई नुकसान नहीं होने वाला है उसे इस यात्रा से जो भी प्राप्त होगा वह फायदा ही होगा।

जय महाकाल

– अर्जुन सिंह चंदेल

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