मेरी यूरोप यात्रा : भाग-7; अद्भुत और अप्रितम है ‘प्राग’ की सुंदरता

अर्जुनसिंह चंदेल

नवजवान साथी आपस में बात कर रहे थे कि प्राग की रातें बहुत हसीन और रंगीन होती है। मनोरंजन के लिये कई नाईट क्लब है जहाँ नाच-गाना होता है जिससे जिंदगी के कुछ पलों को यादगार बनाया जा सकता है। अपने राम को कुछ इस तरह का शौक नहीं है तो अपन ने एक कान से सुना और दूसरे से निकाल दिया। पर सुबह पता चला कि कुछ भाइयों ने अपनी किस्मत अजमायी थी और वह सफल भी हुए थे। यूरोप की धरती पर इस तरह के शौक बहुत महँगे होते हैं और भारतीय मुद्रा में 25 से 30 हजार खर्च होना साधारण बात है।

चेक गणराज्य के प्राग में हम सीधे होटल पहुँचे थोड़ी देर रुकने के बाद वीडियो कोच में सवार होकर प्राग के सबसे बड़े शॉपिंग माल पैलेडियम मॉल पहुँचे जहाँ पर सभी ने शॉपिंग माल का आनंद लिया। इस बीच प्राग में हुयी बारिश ने मौसम को और अधिक खुशनुमा और मादक बना दिया। मॉल में ही इंडियन एसेन्ट रेस्टोरेन्ट था जो काफी बड़ा था सभी को टूर आपरेटर संदीप दीक्षित एवं नरेश जी ने बेहतरीन स्वादिष्ट भोजन करवाया। रात्रि भोजन पश्चात कुछ साथी घूमने निकल गये शेष वीडियो कोच से होटल वापस आ गये।

31 मार्च को सुबह हम सभी साथी नाश्ते के बाद प्राग की खूबसूरती देखने निकल पड़े रास्ते में एक महिला गाईड कोच में सवार हुयी जिसने हमें प्राग की खूबसूरती से आत्मसात करवाया। ऐतिहासिक इमारतें, सुंदर सडक़ें, वैभवशाली, शहर प्राग अपनी भव्यता स्वयं बयां कर रहा था। बूँदाबांदी भी शुरू हो गयी जिसने सिटी टूर का मजा दुगना कर दिया।

शाम हो चुकी थी प्राग के मुख्य बाजार में हम सभी को स्वतंत्र छोड़ दिया गया। दिल्ली के कनाट पैलेस की तरह खूबसूरत उस बाजार में सभी ने अपनी-अपनी पसंद के हिसाब से बाजार का आनंद लिया। अपने राम और अनुज ज्ञानेश नजदीक ही एक भव्य चर्च के अंदर गये प्राग के ऐतिहासिक चर्च की भव्य और बुलंद इमारत की नक्काशी और प्राचीन समय की वास्तुकला देखकर हम दंग रह गये।

बताया गया कि इस चर्च के निर्माण में 300 वर्ष लगे। चर्च के कोने में ही बिजली से चलने वाले दियों की श्रृंखला रखी हुयी थी। जैसे ही आप 1 यूरो का सिक्का डालेंगे तो विद्युत चलित एक दीपक अपने आप रोशन हो उठता था। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मन्नत पूरी होती है। दो घंटे बाद सभी लोग निर्धारित किये गये स्थान पर पहुँचे जहाँ से हमें भारतीय रेस्टोरेन्ट में लजीज भोजन कराया गया।

आज की रात प्राग में हमारी आखरी रात थी अत: कुछ साथी फिर नाइट क्लबों का आनंद लेने निकल पड़े शेष होटल प्रस्थान कर गये। सुबह हमें होटल से चेकआउट करके आस्ट्रिया की राजधानी वियना जाना था। सुबह होटल में ब्रेकफास्ट करके वियना के लिये रवाना हो गये, प्राग की सुंदरता को आँखों में कैद करके।

बस के अंदर पता चला कि हमारे दल के एक साथी की पत्नी के पर्स में रखे रुपये उसी चर्च में चोरी हो गये जहाँ पर हम अपनी मन्नतें पूरी करने के लिये 1 यूरो (भारतीय मुद्रा में 91 रुपये) डालकर दीपक रोशन कर रहे थे। तब लगा कि हिंदुस्तान के अलावा यूरोप में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हाँ एक बात और विशेष है कि वहाँ टेक्सी ड्रायवर महिलाओं में यूक्रेन की खूबसूरत लड़कियां है जो पढ़ायी के साथ अपने जीविकोपार्जन के लिये यह काम भी करती है। प्राग में क्या पूरे यूरोप में सब कुछ कार्य ऑनलाईन होता है। मोबाइल आपकी मु_ी में है तो आपको किसी की जरूरत नहीं है।

कल चलते है वियना की सैर पर

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