शिप्रा किनारे मरी मछलियों के ढेर, बदबू से श्रद्धालु परेशान

10 दिन बाद यहीं होना है गुड़ी पड़वा, शिव ज्योति अर्पणम् व विक्रम उत्सव के कार्यक्रम

उज्जैन, अग्निपथ। शिप्रा के प्रदूषित पानी मेें ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सैकड़ों की संख्या में मछलियां रोज मर रही है। पिछले तीन दिनों से मछलियों के मरने की संख्या तेजी से बढ़ी है। सुबह घाट पर सफाई होती है अगले दिन फिर मृत मछलियों का ढेर किनारे पर लग जाता है। मरी मछलियों की बदबू पूरे क्षेत्र में श्रद्धालुओं को परेशान किये हुए है।

रामघाट पर इन दिनों हालत यह है कि पानी बुरी तरह प्रदूषित है। इस पानी में दूरदराज से आये श्रद्धालु स्नान, आचमन कर रहे है। साथ ही मरी हुई मछलियों के कारण और पानी मेें तैर रहे कीड़ों के कारण उनका मन भी व्यथित है। शिप्रा नदी के रामघाट छोटी रपट से टच होकर भरे पानी में असंख्य कीड़े हैं। श्रद्धालु इसी पानी में स्नान, आचमन करने के बाद भगवान का अभिषेक भी कर रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि रामघाट के आसपास के क्षेत्र में जो पानी नदी में जमा है, वो कान्ह का प्रदूषित पानी है तो पिछले दिनों त्रिवेणी के पास बने मिट्टी के अस्थाई डेम के टूटने के कारण शिप्रा में प्रवाहित हुआ था। बाद में प्रशासन ने दावा किया था कि शिप्रा से कान्ह का प्रदूषित पानी निकाला जा रहा है और उसमें नर्मदा का साफ पानी भरा जा रहा है ताकि गुड़ी पड़वा के मौके पर होने वाले नहान पर दर्शनार्थियों को साफ पानी मिल सके। लेकिन यहां के हालात देखकर तो ऐसा नहीं लगता है कि कान्ह नदी का पानी यहां से पूरी तरह खाली किया गया हो।

शिव ज्योति अर्पणम् की तैयारी भी शुरू

एक ओर से शिप्रा में मटमैला बदबूदार कीड़े युक्त पानी जमा है, किनारे पर मृत मछलियां पड़ी है। दूसरी ओर प्रशासन यहां पर शिव ज्योति अर्पणम कार्यक्रम की तैयारी में जुटा है। यहां पर गुड़ी पड़वा के दिन पांच लाख दीपक जलाये जायेंगे। शिप्रा के दोनो ओर यह दीपक जलाये जाना है। दीपों को जलाने के लिए रामघाट व दत्त अखाड़ा क्षेत्र में कलर से ब्लाक बनाना शुरू कर दिये गये हैं।

गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को है। यानी कुल 10 दिन शेष हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या बारह दिन में रामघाट क्षेत्र पर शिप्रा प्रदूषण मुक्त हो जायेगी, या फिर बदबूदार माहौल मेें ही गुड़ी पड़वा, शिव ज्योति अर्पणम् और विक्रम उत्सव के कार्यक्रम आयोजित होगे।

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