महाकाल की पार्किंग में एक करोड़ का खेल

लोकायुक्त ने शुरू की जांच, दो आईएएस सहित 15 अधिकारियों को नोटिस

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर परिसर विस्तार योजना के तहत बनाए गए पार्किंग में ठेकेदार कंपनी को एक करोड़ रूपए का लाभ पहुंचाए जाने की शिकायत के मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरू कर दी है। लोकायुक्त की तरफ से उज्जैन में पदस्थ रहे दो आईएएस सहित 15 अधिकारियों, ठेकेदार और कंसलटेशन एजेंसी डायरेक्टर को नोटिस जारी कर दिए गए है। इन सभी को 28 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे लोकायुक्त मुख्यालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है।

तराना के विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त को महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार योजना में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत की थी। 18 मई को की गई इस शिकायत पर लोकायुक्त ने संज्ञान लेकर 15 संबंधितों को नोटिस जारी किए गए है। महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार का कार्य फिलहाल पूरे देश में चर्चाओं में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाकाल लोक का लोकार्पण किए जाने के बाद से प्रदेश सरकार पूरे देश में मंदिर परिसर विस्तार योजना को अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर प्रस्तुत करने में जुटी है। ऐसे में लोकायुक्त द्वारा निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच आरंभ किया जाना और अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाना राज्य सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

दो पूर्व आईएएस भी जांच के लपेटे में

लोकायुक्त की तरफ से पूर्व नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल और अंशुल गुप्ता को मामले में नोटिस जारी किया गया है। दोनों ही आईएएस अधिकारी है, दोनों फिलहाल उज्जैन में पदस्थ नहीं है। इनके अलावा स्मार्ट सिटी कंपनी के पूर्व सीईओ अपर कलेक्टर जितेंद्र सिंह चौहान, ठेकेदार एम.पी. बावरिया, आर्किटेक्ट नितिन श्रीमाली, अधीक्षण यंत्री फरीद कुरैशी, धर्मेंद्र वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर संजय शाक्य, कमलकांत सक्सेना, पलाश शर्मा और चीफ फायनेंस ऑफिसर जुवानसिंह तोमर सहित 4 अन्य लोगों को नोटिस जारी हुए है। सभी को 28 अक्टूबर को लोकायुक्त के समक्ष पेश होकर जवाब प्रस्तुत करना है।

महाकाल के दरबार में एक करोड़ का खेल

  • स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा 6 फरवरी 2021 को महाकालेश्वर मंदिर विस्तारित परिसर में सोलर रूफ वाले पार्किंग शेड के निर्माण का टेंडर निकाला गया था। यह काम लगभग 3 करोड़ 62 लाख 68 हजार 55 रूपए का आंका गया था।
  • न्यूनतम टेंडर गुजरात की फर्म एम.पी. बावरिया का रहा, लिहाजा इस फर्म को 17.67 एसओआर से कम पर इस काम का टेंडर दे दिया गया था।
  • असली खेल टेंडर दिए जाने के बाद किया गया। पार्किंग शेड निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का टेंडर में जिक्र था। टेंडर में आयटम क्रमांक 1 से लगाकर 10 तक और इलेक्ट्रिक आयटम में 2 से लगाकर 20 तक सभी आयटम युएडीडी एसओआर पर लिए गए जबकि आयटम नंबर 11 पर दर्ज जीआई शीट को पीडब्ल्यूडी एसओआर पर लिया गया।
  • एक ही तरह के टेंडर में दो अलग-अलग तरह की एसओआर का इस्तेमाल करने में करीब 1 करोड़ रूपए का खेल हुआ है।
  • युएडीडी एसओआर में जीआई शीट का रेट 572 रूपए प्रति वर्ग मीटर है जबकि पीडब्ल्यूडी की एसओआर में इसी जीआई शीट की दर 652 रूपए प्रति वर्ग मीटर है।
  • पार्किग शेड के टेंडर में सिर्फ और सिर्फ जीआई शीट आयटम को ही पीडब्ल्यूडी एसओआर पर लिया गया।
  •  टेंडर के अनुसार मौके पर जीआई शीट का इस्तेमाल होना था लेकिन तत्कालीन स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों ने इसे जीआई शीट में बदल दिया।
  • टेंडर के अनुसार यदि मौके पर पार्किंग शेड में जीआई शीट लगती तो इसमें 22 लाख 74 हजार 490 रूपए ही खर्च होते।
  • जैसे ही आयटम को जीआई शीट से बदलकर पोलिकार्बोनेट शीट किया गया, खर्च 6 गुना बढक़र 1 करोड़ 20 लाख 34 हजार 980 रूपए हो गया।
  • टेंडर की कुल लागत 3 करोड़ 62 लाख रूपए के 33 प्रतिशत से अधिक यानि लगभग 1 करोड़ 20 लाख रूपए का आयटम टेंडर होने के बाद बदला गया।
  • इसके अलावा सोलर रूफ वाले पार्किंग शेड के निर्माण की ड्राइंग-डिजाईन में भी परिवर्तन करके ठेकेदार को अन्य आयटम में भी लाभ दिया गया है।
    (जैसा विधायक महेश परमार द्वारा लोकायुक्त को की गई शिकायत में उल्लेख किया गया है।)

अच्छे काम की सराहना लेकिन भ्रष्टाचारियों को छोड़ेंगे नहीं

महेश परमार
महेश परमार

महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार के मामले में विधायक महेश परमार द्वारा दो अलग-अलग शिकायतें की गई है। महेश परमार ने अग्निपथ से चर्चा में कहा कि मंदिर परिसर में हुए अच्छे कामों की हम सराहना करते है लेकिन मंदिर में भ्रष्टाचार करने वालों को भी छोड़ेंगे भी नहीं। भगवान महाकालेश्वर के परिसर में ही बेइमानी करने वालों को सजा दिलाने तक उनके पीछे लगे रहेंगे। निश्चित रूप से मामले की निष्पक्ष जांच होगी तो दोषी चेहरे खुद ब खुद ही सामने आ जाएंगे।

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