फर्जी मुख्त्यार नामा बनवा कर जमीन की बिक्री करने वाले पांच को सजा

तीन आरोपितों को किया दोष मुक्त

आगर मालवा, अग्निपथ। फर्जी मुख्त्यार नामा सम्पादित कर जमीन की बिक्री करने के एक सनसनी खेज मामलें में प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार दुबे ने महत्वपुर्ण आदेश पारित कर पांच आरोपितों को 5 से 7 वर्ष के सश्रम कारावास व अर्थदण्ड से दंडित किया हैं। इस मामलें में तीन आरोपितों को दोष मुक्त किया गया हैं।

अतिरिक्त लोक अभियोजक यशराज परमार ने बताया कि ग्राम महुडिय़ा निवासी रामलाल ने सन् 2011 में मुख्यमंत्री को एक लिखित आवेदन प्रेषित किया था। जिसमें बताया था कि ग्राम महुडिय़ा आगर में भुमि सर्वें क्रमांक 176 रकबा 3.41 हेक्टेयर करीब 20 वर्ष पुर्व उसके पिता ने खरीदी थी, और वर्तमान में उक्त भुमि राजस्व अभिलेख में नेमीचंद, धर्मचंद व अभय कुमार पुत्रगण छगनलाल के नाम से दर्ज हैं। जिसमें भुलवष पिता का नाम मुन्नालाल लिखा हैं। नेमीचंद, धर्मचंद का 2004 में निधन हो गया हैं। जबकि अभय कुमार रिटायर्ड कर्मचारी हैं व शाजापुर में निवास करते हैं।

भूमि की बढ़ती कीमत देखकर पप्पू पिता जीवन लाल, गोकुल पिता रामसिंह, राजेश पिता मोहनलाल ने 17 अक्टूबर 2011 को एक मुख्त्यार नामे में फर्जी फोटों लगा कर उप पंजीयक कार्यालय आगर में पंजीयन करवाया तथा 2004 में दिवंगत हुए नेमीचंद व अभय कुमार के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके भुमि हडपने के लिए धोखाधड़ी की। इस फर्जी मुख्त्यार नामे के आधार पर 2 नवम्बर 2011 को पप्पुलाल गोकुल सिंह राजेश ने षड्यंत्र कर कालूसिंह व कमलसिंह के नाम पर रजिस्टर्ड विक्रय पत्र सम्पादित करा दिया।

आगर थाना पुलिस ने मामलें में प्रकरण दर्ज कर अभियोग पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किया था। विद्वान न्यायाधीश दुबे ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष की विवेचना कर अभियुक्तगण पप्पुलाल उर्फ पप्पुसिंह पिता जीवनलाल निवासी दलोत थाना सुंवासरा, बगदी राम उर्फ प्रभुलाल निवासी ग्राम कांटिया थाना सुंवासरा व देवीसिंह पिता गंगाराम निवासी पाचारूंडी आगर को धारा 420 भादवि के तहत 5-5 वर्ष व धारा 467, 468, 471 के तहत 7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

साथ ही इन सभी धाराओं में पांच-पांच हजार रूपए के अर्थ दण्ड से दंडित किया हैं। शेष अभियुक्त कालूसिंह पिता नारायण सिंह निवासी झलारा, कमलसिंह पिता मोड़ सिंह निवासी तनोडिय़ा को धारा 420 भादवि में पांच वर्ष व धारा 471 में सात वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया तथा दोनों धाराओं के तहत 5-5 हजार रूपए का अर्थदण्ड भी किया हैं।

एजीपी परमार ने बताया कि प्रभुलाल निवासी पृथ्वीगढ़़ नाम का अभियुक्त फरार हैं। अचल सम्पत्ति की बढ़ती कीमतों के अनुपात में बढ़ते धोखाधड़ी के मामलों पर विद्वान न्यायाधीश ने चिंता जताते हुए कहा हैं कि इस तरह के अपराधों के पुनरावृत्ति होने से आम लोगों को जीवन भर की सम्पत्ति से वंचित होना पड़ता हैं। इस तरह के अपराधों को रोकने व समाज को सकारात्मक संदेश देने के लिए मामलें से जुड़े अभियुक्तों को शिक्षाप्रद दण्ड दिया जाना जरूरी हैं।

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