महाकाल मंदिर में दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर की व्यवस्था बन रही भ्रष्टाचार का कारण

महाकालेश्वर मंदिर shikhar

डॉ अवधेशपुरी महाराज ने दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर पर रोक के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक – स्वतंत्रता के हनन यानी दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर को बन्द करने के लिए स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ अवधेशपुरी महाराज ने महाकाल मंदिर में दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर पर रोक के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

क्रांतिकारी संत परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे हिन्दूवादी सरकार माना जाता है, किंतु यह घोर आश्चर्य एवं विडंबना ही है कि ऐसी हिन्दूवादी सरकार के कार्यकाल में भी विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है। गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है।

अन्य धर्म में नहीं है वीआईपी कल्चर

महाराज ने कहा कि जहाँ एक भी मस्जिद, गिरजाघर, चर्च या गुरुद्वारे में न ही वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है किंतु हिंदुओं के मंदिरों का पहले तो सरकारीकरण किया गया है और अब उन्हें व्यावसायिक केंद्र बनाते हुए हिंदू वीआईपी कल्चर विकसित करते हुए श्रद्धालुओं से दर्शन का शुल्क लिया जा रहा है।

अनुच्छेद 25 का उल्लंघन कर रहा प्रशासन

अवधेशपुरी महाराज के अनुसार अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता धर्म को अवाध रूप से मानने, आचरण करने व प्रचार करने का अधिकार देता है तो फिर शासन एवं प्रशासन वीआईपी कल्चर व दर्शन शुल्क के द्वारा भगवान महाकाल और उनके गरीब भक्तों के बीच में बाधा क्यों बन रहा है? भक्तों को भगवान से दूर क्यों कर रहा है?

अनुच्छेद 26 हमें धार्मिक स्वतंत्रता धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन, पोषण, स्वामित्व, प्रशासन एवं धार्मिक कार्यों के प्रबंधन का अधिकार देता है तो फिर हिंदू मठ मंदिरों को शासन द्वारा प्रशासित कर हिंदुओं के संवैधानिक मूल अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?

प्रधानमंत्री ध्यान दें, उज्जैन वालों के लिए अलग एंट्री दें

डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि मैं एक संन्यासी होने के नाते अपने संन्यासी धर्म का पालन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह करता हूँ कि भगवान महाकाल के दरबार में वीआईपी कल्चर के होने से भी गरीब भक्त अपने आपको छोटा एवं अपमानित अनुभव करता है। यह भी बन्द होनी चाहिए। इसे आप एक संत की पीड़ा, कर्तव्य, सुझाव अथवा आग्रह कुछ भी माने किंतु इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर दर्शन के नाम पर शुल्क की व्यवस्था एवं वीआईपी कल्चर को समाप्त करें। साथ ही आपने उज्जैनवासियों के लिए आधार दिखाकर अलग गेट से एंट्री के निर्णय के लिए महापौर एवं प्रबन्ध समिति का धन्यवाद भी ज्ञापित किया।

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