ज्योतिषाचार्यों की भविष्यवाणी : मंगल, गुरू और राहु का त्रिकोणीय योग बिगाड़ रहे परिस्थितियां, जुलाई- 2022 से कोरोना देश से होगा विदा

कोरोना वायरस इस साल जुलाई में पड़ेगा कमजोर, दिसंबर में फिर वापसी की संभावना

उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में कहर ढाया हुआ है। अब तो श्मशान में भी शवों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं अस्पतालों के भीतर बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में जनमानस के मन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर यह कोरोना देश से कब जाएगा? डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं। वहीं हमने शहर के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों से जानने का प्रयास किया कि कोरोना देश से आखिरकार कब जाएगा।

शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बा वाला ने बताया कि कोरोना की यह लहर जुलाई तक कमजोर पड़ सकती है, लेकिन दिसंबर के आसपास के वापस आने की पूरी संभावना है। ज्योतिषाचार्य ने जुलाई- 2022 से देश से विदा होने के संकेत दिए हैं तो वही दूसरे ओर ज्योतिषाचार्य और डॉ. प्रणयन एम पाठक ने अप्रैल- 2023 तक पूरे विश्व से कोरोना महामारी के खात्मे की बात कही है।

ग्रहों की बदलती कक्षा एवं मंगल शनि के खड़ा अष्टक से बिगड़ रही है स्थितियां

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र तथा संबंधित शाखा मेदिनी ज्योतिष से जुड़े सिद्धांतों के आधार पर देखें तो संवत्सर के आरंभ का दिवस मंगलवार होने से तथा प्रतिपदा के दिन ही रात्रि में मंगल का मिथुन राशि में प्रवेश करने से स्थितियां बिगड़ी हैं। उसका मुख्य कारण है मकर राशि स्थित शनि से खड़ाष्टक योग का निर्माण होना। इस प्रकार का दृष्टि संबंध वह भी पाप ग्रह का आपस में बनना प्रकृति एवं जनमानस के लिए तथा जन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं बताया गया है। क्योंकि मिथुन राशि में मंगल का नैसर्गिक संबंध अनुकूल नहीं बताया गया है। वहीं मिथुन राशि के मंगल से मकर राशि के शनि का भी दृष्टि संबंध प्रतिकूल माना जाता है।

यह स्थिति 2 जून तक रहेगी तब तक परिस्थितियां अपने चढऩे उतरने के क्रम में रहेंगी। हालांकि ग्रह गोचर एवं नक्षत्र मंडल की परिगणना से देखें तो अलग-अलग प्रकार की स्थितियां दिखाई दे रही हैं। जिसमें अलग-अलग दिशा से संबंधित राष्ट्रों में संक्रमण का उतार-चढ़ाव अलग-अलग समय पर दिखाई देगा। हालांकि ग्रहों की स्थितियां तथा इनके वक्री एवं मार्गी होने की गति कम और ज्यादा की स्थिति बनाती रहेगी। यदि मोटे तौर पर देखें तो यह वर्ष भी संघर्ष का वर्ष है। इस समय धर्म अध्यात्म एवं सावधानी के साथ साथ सजगता के द्वारा हम इस पर नियंत्रण कर सकते हैं।

कौन से महीने में कौन से ग्रह नक्षत्र का परिवर्तन

ज्योतिषाचार्य पं. डिब्बावाला ने बताया कि 30 अप्रैल को बुध का उदय, 14 मई को बनेगा चतुर ग्रही योग जिसमें सूर्य राहु बुध शुक्र की युति रहेगी, 22 मई को गुरु का शतातारका नक्षत्र में होगा प्रवेश, 23 मई को शनि वक्री होंगे, 2 जून को मंगल का कर्क राशि में प्रवेश होगा। मंगल के कर्क राशि में प्रवेश करते ही शनि से प्रतियोग बनेगा (यह स्थिति भी ठीक नहीं है), 20 जून को कुंभ राशि सदगुरु का वक्री होना शुभ फलदायक रहेगा। यहां परिस्थिति में अनुकूलता बनेगी जनता आरोग्यता का अनुभव कर सकेगी।

जुलाई में ग्रह के नक्षत्र परिवर्तन से भी स्थिति में फ्लकचुएशन आएगा। यह संबंधित राष्ट्रों के मध्य भी हो सकता है। अगस्त सितंबर में स्थिति में सुधार होगा। 11 अक्टूबर को शनि का मार्गी होना श्रेष्ठ रहेगा। 22 अक्टूबर को मंगल का तुला राशि में परिभ्रमण के साथ शनि का पुन: दृष्टि संबंध बनना यह आने वाले समय के लिए वैश्विक दृष्टिकोण से थोड़ा कमजोर रहेगा। 20 नवंबर के बाद पुन: ग्रह स्थितियों में परिवर्तन होने से रोग की स्थिति बन सकती है। अत: ध्यान देना नितांत आवश्यक है।

अप्रैल-2023 में विश्व से कोरोना का खात्मा

ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रणयन एम पाठक ने बताया कि 17 मार्च 2022 को राहु केतु का वृषभ से मेष राशि में आना होगा। 29 अप्रैल- 2022 को शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तथा 13 अप्रैल- 2022 को गुरु शनि की राशि छोडक़र अपनी राशि मीन में प्रवेश करेंगे। यह चारों बड़े ग्रहों के परिवर्तन से अप्रैल 2022 से कोरोना कमजोर पड़ता जाएगा और अप्रैल- 2023 तक 99 प्रतिशत तक पूरा विश्व कोरोना से जंग जीतने में सफल हो पाएगा।

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