हम चुप रहेंगे 12 अप्रैल 2021

चाय…

इन दिनों कमलप्रेमी चाय शब्द सुनते ही भडक़ रहे हैं। बिलकुल वैसे ही, जैसे सांड, लाल कपड़ा देखकर भडक़ता है। इसकी वजह सोशल मीडिया पर अपलोड हुई एक पोस्ट है। जिसे अपने विकास पुरुष ने अपलोड किया है। वह भी बंगाल से। जहां इन दिनों पार्टी के निर्देश पर गये हुए हैं। मगर यहां शहर में इलाज के दौरान कमलप्रेमी नेता की मौत और फिर एफआईआर दर्ज के चलते कमलप्रेमी भडक़ रहे हंै। सभी का गुस्सा अपने विकास पुरुष पर है और विकास पुरुष है कि केसर की चाय पोस्ट अपलोड कर रहे हंै। यही वजह है कि कमलप्रेमी बोल रहे हंै कि 2018 से पहले चाय पर चर्चा के नाम से मूर्ख बनाया और अब शहर में जरूरत है तो केसर की चाय का विज्ञापन कर रहे हंै। कमलप्रेमियों के इस आक्रोश को लेकर हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

सील…

तो कोरोना पूरी और बुरी तरह से फैल चुका है। हर रोज आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसके लिए दोषी कौन है। अपने विकास पुरुष या फिर अपने उम्मीद जी। जो कदम पहले उठा लेने चाहिये थे, वह अब उठाये जा रहे हंै। हालांकि अपने उम्मीद जी को भविष्य नजर आ गया था। शिवरात्रि के पूर्व ही। तभी उन्होंने आपदा प्रबंधन में प्रस्ताव रखा था। उज्जैन की सभी बार्डर सील कर दी जायें। खासकर पड़ोसी संभागीय मुख्यालय वाले रास्ते की। ताकि शिवरात्रि पर भीड़ जमा नहीं हो। अगर अपने उम्मीद जी की बात, विकास पुरुष मान जाते। तो आज हालात इतने बद्त्तर नहीं होते, जैसे आज हैं। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे हंै। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।
सवाल…
अपने विकास पुरुष के करीबी पर एफआईआर दर्ज हो गई। माधव नगर कांड को लेकर। जिसके बाद कमलप्रेमियों में भयंकर नाराजगी है। सब अचरज में है। सत्ता में होते हुए भी, आखिर किसके इशारे पर यह सब हुआ? सब एक-दूसरे से सवाल कर रहे हंै। क्योंकि एफआईआर जिन पर दर्ज हुई, वह अपने विकास पुरुष के करीबी माने जाते हैं। मगर फिर भी हुई। अब कमलप्रेमी इस सवाल के जवाब की खोजबीन में लगे हैं। किसके इशारे पर एफआईआर दर्ज हुई। देखना यह है कि कमलप्रेमियों को जवाब मिलता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

नियम…

प्रशासन ने नियम बना दिया है। कोविड से हुई मौत के बाद शव, सीधे शमशान ही जायेगा। मतलब यह है कि मरीज के परिजनों को शव नहीं दिया जायेगा। इस पर अमल भी हो रहा है। मगर माधव नगर कांड में यह नियम अचानक बदल गया। कमलप्रेमी नेता की मौत हो गई थी। परिजनों ने हल्ला-बोल कर दिया। अपने लिटिल मास्टर को छुपना पड़ा। परिजनों की डिमांड थी कि शव दिया जाये। इसके बाद तत्काल ही शव को एम्बुलेंस से घर भिजवा दिया गया…वह भी निगेटिव बताकर। जबकि 1 दिन पहले कोविड सेंटर में इलाज चल रहा था। कमलप्रेमी नेता ने ऑक्सीजन कमी का संदेश भी वायरल किया था। इसके बाद अचानक नियम बदल गया और मरीज निगेटिव भी हो गया। जिसको लेकर हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

मेहरबान…

वर्दी हर किसी पर मेहरबान नहीं होती है। उसी पर होती है। जो जेब गर्म करने की ताकत रखता है। फिर उसके लिए वर्दी सब नियम भूल जाती है और चौराहे पर ले जाकर नाश्ता भी करवाती है। जैसा पिछले सप्ताह हुआ। नाश्ता करवाते हुए वीडियो वायरल हो गया। हंगामा मचा…तो जांच बैठा दी। मगर इस जांच का कोई मतलब नहीं निकलना है। क्योंकि इसमें वर्दी की ही किरकिरी होनी है। ऐसा खुद वर्दी वाले बोल रहे हैं और जब वर्दी वाले बोल रहे हैं तो बात सच ही होगी। सच बात पर क्या बहस करना। इससे बेहतर है…अपनी आदत के अनुसार चुप रहना।

आक्रोश…

कमलप्रेमियों में आक्रोश है। छोटा-मोटा नहीं, बल्कि जोरदार वाला आक्रोश। इस कदर की, अगर कार्यकर्ता का बस चले, तो खुलकर अपने वरिष्ठ नेताओं की धज्जियां बिखेर दे। यह आक्रोश कोरोना को लेकर फैली अव्यवस्था से जुड़ा है। कमलप्रेमियों की कोई सुनने वाला नहीं है। इसीलिए कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। खुलकर लिख रहे हंै। यह आक्रोश अपने विकास पुरुष से लेकर वजनदार जी, पहलवान, ढीला-मानुष और लेटरबाज के प्रति है। इन सभी ने कार्यकर्ताओं की सुध लेना बंद कर दी है। अब देखना यह है कि…यह आक्रोश क्या रंग लायेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मैनेज…

वर्दी के सामने पंजाप्रेमी नेता आपस में भिड़ गये। एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रवक्ता ने पूर्व पार्षद और पूर्व पार्षद ने प्रवक्ता पर। आरोपों की बरसात कर दी। एक-दूसरे को दल्ला बता दिया। जिसके बाद मामला थाने में आवेदन के रूप में पहुंच गया। पार्षद ने थाने जाने से पहले सभी को बताया। बिरयानी नेताजी और कामरेड को भी। किसी ने भी नहीं रोका। आखिर…एक तीर से दो शिकार हो रहे थे। प्रवक्ता और चरणलाल जी पर प्रहार था। मगर अब इस मामले को मैनेज किया जा रहा है। देखना यह है कि बयान के बाद, मामला किस तरीके से मैनेज होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

सोशल डिस्टेंस…

2 गज दूरी-मास्क है जरूरी। यह फरमान अपने मामाजी से लेकर, उम्मीद जी तक ने जारी किया है। किराना-दूध-सब्जी भाजी-मेडिकल सहित सभी दुकानों पर यह फरमान जनता पर लागू होता है। मगर, देशी शराब की दुकान पर शायद लागू नहीं होता है। तभी तो शनि मंदिर के आगे ग्राम डेंडिया में स्थित कलाली पर रविवार की शाम को भीड़ लग रही थी। कोई सोशल डिस्टेंस का पालन करने और करवाने वाला नहीं था। मगर हम इसमें क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

खबर हो गई…

एक गाना हमारे पाठकों ने सुना होगा। आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर/ सबको मालूम है और सबको खबर हो गई। यह गीत इन दिनों चक्रम के गलियारों में सुनाई दे रहा है। जिसके मुखिया अपने विकास पुरुष है। सिर पर नहीं है बाल-और टोपी रखती उनका ख्याल, इस शख्स से चक्रम में हर कोई परिचित है। उनके आशिक मिजाजी के 2-3 मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। अब 55 की उम्र में उनके दिल ने फिर बचपन वाली हरकत की है। यही वजह है कि चक्रम में उनको देखकर हर कोई वही गाना गा रहा है, जो ऊपर लिखा है। अब उम्र 55 और दिल बचपन…के बीच में हम क्या कर सकते हंै। आखिर दिल का मामला है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

पीछे कौन…

माधव नगर अस्पताल में हुए कांड के पीछे किसका हाथ है। क्योंकि, कमलप्रेमी अपनी मर्जी से धरना नहीं कर सकते है। तोड़ा-फोड़ी करने जाना तो दूर की बात है। तो फिर आखिर किसकी शह पर कमलप्रेमी अस्पताल पहुंचे। अपशब्द कहे-दरवाजे पर लात मारी-जहां पर अपने लिटिल मास्टर छुपे थे। आखिर कौन वह जनप्रतिनिधि है। जिसके इशारे पर यह सब हुआ। सवाल पेचीदा है, मगर अपने उम्मीद जी से भरोसा है कि वह…पीछे कौन का पता लगा ही लेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

-प्रशांत अंजाना

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