हम चुप रहेंगे (7 जून 2021)

सलाहकार…

आभार-धन्यवाद-साधुवाद-अभिनंदन…इन सभी के हकदार हैं। हमारे अपने वजनदार जी। जिन्होंने खुद जाकर जुर्माना भरा। कानून के प्रति सम्मान दिखाया। उनका तो नागरिक अभिनंदन होना चाहिये? वह भी सार्वजनिक स्थान पर। इतिहास बना दिया उन्होंने। यह सब पढक़र पाठक गलतफहमी ना पाले। कमलप्रेमियों में ऐसी कोई चर्चा नहीं हो रही है। उल्टे उनके इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हंै। आखिर उन्होंने अपने किस सलाहकार के इशारे पर यह कदम उठाया। कमलप्रेमियों का मानना है। अगर बगैर हेलमेट के कानून टूटता है तो…चौपहिया वाहन में सीट-बेल्ट नहीं बांधने पर भी कानून टूटता है और जुर्माना भरना पड़ता है। यही वजह है कि कमलप्रेमी बोल रहे है कि…हेलमेट नहीं पहना तो खुद का चालान कटवाया/छपास की भूख ने ऐसा भी दिन दिखाया। मगर हमको इस सब बातों से क्या लेना-देना। हमारा तो काम है बस आदत के अनुसार चुप रहना।

खुश…

अपने तेल मालिश वाले नेताजी की याद है। वही जो फक्कड़ बाबा के साथ मिलकर तेल मालिश का धंधा चलाते थे। कुपोषण की आड़ में। वही नेताजी लंबेे समय से अपनी किस्मत के कारण नाराज थे। कारण…ना बैठक ना दौरे। तो कहीं भी कोई तस्वीर नहीं छप रही थी। जैसे ही अनलॉक हुआ, तेल मालिश वाले नेताजी के चेहरे पर खुशी छा गई। तत्काल दौरा किया। फोटो भी छप गई। रौनक लौट आई। मगर कमलप्रेमियों में एक अलग चर्चा है। सदस्य होने के नाते पूरे प्रदेश में दौरा कर सकते हंै। मगर तेल मालिश वाले नेताजी बाहर जाने से बचते है। कारण…बाकी जिलों में कोई तवज्जो नहीं मिलती है। उल्टे यह बोल दिया जाता है कि…निरीक्षण कर लो-रिपोर्ट जैसी चाहे बना दो-पालन प्रतिवेदन भिजवा देंगे। यही वजह है कि केवल अपने जिले में ही तेल मालिश वाले नेताजी अपने झांकी जमाकर खुश हैं। तो हम भी उनकी खुशी में शामिल होते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

उपकार…

अपने शिष्य पर हर गुरु उपकार करता है। जब बात अपने नीली फिल्मों के शौकीन जैसे गुरु की हो तो शिष्य का तो कुछ भी नहीं बिगडऩा है। अभी ताजा मामला है। एक फोटो वायरल हुआ था। जिसमें सोमरस के शौकीन डॉ. अपने मित्रों के साथ मजे कर रहे थे। मामला तूल पकड़ा तो गुरु को हस्तक्षेप करना पड़ा। अपने शिष्य के लिए गुरु ने वही किया जिसकी उम्मीद थी। शिष्य डॉ. को आखिरकार बचा लिया गया। बस पद से हटा दिया और शिष्य की जगह एक ऐसे संविदा कर्मी को पद पर बैठा दिया। जो कि नियमों के विपरीत है। इस पद पर स्थाई डॉक्टर की ही नियुक्ति की जाती है। लेकिन शिष्य के लिए संविदाकर्मी को बना दिया, ताकि पर्दे के पीछे शिष्य ही काम करता रहे। इसे बोलते है गुरु का प्यार…सांप भी मर गया…लाठी भी नहीं टूटी और आरोप लगाने वाले भी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

अफवाह…

अफवाह का कोई इलाज नहीं होता है और यह कोरोना से भी ज्यादा तेजी से फैलती है। जैसे वैक्सीन को लेकर अल्पसंख्यक वर्ग में अफवाह ने घर बना लिया है। तभी अपने उम्मीद जी और मंद-मुस्कान को 2 कैम्प लगाने पड़े। पहले कैम्प में तो जैसे ही उम्मीद जी की गाड़ी पहुंची, जो थोडी बहुत महिलाएं थी, वह ऐसे भागी जैसे उनको जबरदस्ती पकड़ रखा था। आखिरकार फिर बुलाया गया। यह समझाने के लिए कि…ऐसा कुछ भी नहीं है…वैक्सीन से नपुसंक नहीं होते है…और ना ही मौत होती है। दोनों ने मिलकर अल्पसंख्यक वर्ग में फैली इस अफवाह को दूर करने की कोशिश की है। मगर फिर भी हालात कोई ज्यादा खुशनुमा नहीं है। अब देखना यह है कि अल्पसंख्यकों के घर कर गई इस अफवाह को मिटाने के लिए उम्मीद जी क्या-क्या कदम उठाते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

होटल…

अपने संभाग का एक जिला है। जिसे मां चामुंडा की नगरी के नाम से जाना जाता है। यहीं पर एक होटल है। जो इन दिनों सुर्खियों में है। कारण…सेक्स रैकेट पकड़ाया है। अगर सीधी सरल भाषा में लिखा जाये तो…वर्दी ने वर्दी द्वारा संचालित होटल पर दबिश दे डाली है। यह बात 100 प्रतिशत सच है। इस होटल के असली मालिक हमारे जिले के 2 वर्दीधारी अधिकारी हैं। वह भी राजपत्रित अधिकारी। जिसमें से एक मुख्यालय की कमान संभालते हैं। तो दूसरे यातायात के मुखिया है। दोनों ने जब अपने अर्नाल्ड थे, तब इस होटल को खरीदा था। अब यह देखना रोचक होगा कि वर्दी की दबिश, वर्दीवालो का क्या बिगाड़ पाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

चिंता…

चिंता का मतलब खुद अपनी चिता तैयार करना होता है। तभी तो अपने मंद-मुस्कान जी कोई भी चिंता नहीं पालते हैं। फिर भले ही, उनकी इस चिंता से शिवाजी भवन का खाली खजाना ही क्यों ना भरता हो? ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। बोला जा रहा है कि 1 अप्रैल से संपत्तिकर भरने का मामला पूरी तरह बंद पड़ा है। ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों बंद है। जिसके चलते भवन अनुज्ञाएं भी रुकी हैं। लेकिन अपने मंद-मुस्कान जी को रत्ती भर भी चिंता नहीं है। अब, जब अपने मंद-मुस्कान जी को चिंता नहीं है, तो हम कौन होते हंै। चिंता करने वाले। हम भी उनकी तरह बेफ्रिक होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

जलन…

इंसानी फितरत है। कोई आगे बढ़ता है तो बाकी सब एकजुट होकर उसको गिराने में लग जाते है। जैसा इन दिनों अपनी पंजाप्रेमी बुआजी के साथ हो रहा है। राजनीति में ऐसा चलता रहता है। लेकिन सबसे नीचतापूर्ण हथकंडा पत्र वाला होता है। जिसमें अनर्गल आरोप लगाकर चरित्र हनन का प्रयास किया जाता है। जैसे अभी अपनी बुआजी के लिए किया जा रहा है। बगैर नाम के, डरपोक पंजाप्रेमी, बेसिर-पैर की बाते दिखकर पत्र वायरल कर रहे हंै। जबकि अपनी बुआजी, अपनी लाइन बड़ी करने में लगी है। अब देखना यह है कि छुपकर प्रहार करने वाले पंजाप्रेमियों का मकसद पूरा होता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

हलचल…

राजधानी मेंंं इन दिनों राजनीतिक हलचल मची हुई है। जिसकी गूंज बाबा की नगरी में भी सुनाई दे रही है। कमलप्रेमियों में राजधानी में हो रहे घटनाक्रम को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। उच्च स्तर पर मची इस हलचल का आगाज अपने 2 नम्बरी नेताजी ने किया था। राजधानी पहुंचकर। जिसके बाद तो हर दिन हलचल बढ़ती जा रही है। तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हंै। कमलप्रेमी इसे मामाजी पर संकट बता रहे हैं। जिसका केन्द्र बिंदु डबरा शहर है। यही वजह है कि कमलप्रेमी मरहूम शायर डॉ. सागर आजमी का अशआर गुनगुना रहे हंै। फिर आने वाला है तूफान नया सागर/सहमे हुए बैठे हैं सब अपने मकानों में। यह वही अशआर है, जिसके चलते 70 से 80 दशक के बीच तत्कालीन केन्द्र सरकार निपट गई थी। अब देखना यह है कि इस बार यह अशआर अपने मामाजी की सरकार पर कितना सटीक साबित होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

-प्रशांत अंजाना

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