हम चुप रहेंगे (14 जून 2021)

बाजीगरी…

अंकों को घुमाकर इस तरीके से लिखना कि वह 5 ही दिखे और 4 भी नजर आये। यह बाजीगरी अगर सीखनी है तो उपभोक्ता भंडार चलाने वालों से सीखी जा सकती है। जिनमें से अधिकतर संचालक कमलप्रेमी हैं। इसलिए 5 को 4 बनाने में डरते भी नहीं है। प्रधानमंत्री की योजना के तहत गेहूं का वितरण होना है। मुफ्त में होना है। जिसमें प्रति व्यक्ति 5 किलो देना है। लेकिन 4 किलो दिये जा रहे हैं। शिकायत ऊपर तक पहुंची है। जिसके बाद सोशल ग्रुप पर एक संदेश जारी हुआ। जिसमें लिखा गया कि…कृपया 5 को 4 ना बनायें। देखना यह है कि कमलप्रेमी भंडार संचालक अपनी इस बाजीगरी से बाज आते हैं या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

बच गये…

तो आखिरकार अपने नीली फिल्मों के शौकीन बच ही गये। अंदरखाने की खबर है कि उनकी रवानगी की तैयारी पूरी तरह हो गई थी। राजधानी में भी सबकुछ सेट हो गया था। मगर फिर अचानक ही रवानगी की फाइल पर दस्तखत होते-होते रुक गये। इसकी 2 वजह बताई जा रही है। पहली यह कि 2 महीने बाद सेवानिवृत्त होने वाले है। दूसरी वजह यह है कि अपने तेल मालिश वाले नेताजी ने भाई का फर्ज निभाते हुए जोर लगा दिया था। जो कि फूलपेंटधारी है। नीली फिल्मों के शौकीन की रवानगी रुकने से स्वास्थ्य विभाग में नाराजगी है। मगर सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

अगला कौन…

दाल-बिस्किट वाली तहसील का प्रेम प्रसंग तो याद होगा। वही जिसमें अपने पंजाप्रेमी पहलवान की छबि खराब हो गई है। अपने साहबजादे के कारण। मामला तूल पकड़ा था और वर्दीवालों ने प्रकरण तक दर्ज कर लिया था। यह प्रकरण दर्ज कराने वाली पंजाप्रेमी नेत्री का अभी-अभी बाबा की नगरी में आगमन हुआ। 3 घंटे तक पंजाप्रेमी मुख्यालय पर रही। अच्छा-खासा स्वागत हुआ। युवाओं ने इस नेत्री के साथ फोटो भी खिंचवाये। जिसके बाद पंजाप्रेमी मुख्यालय से लेकर पंजाप्रेमियों के बीच यह चर्चा है। अब अगला शिकार बाबा की नगरी से कौन होगा? जिसको लेकर हम क्या कह सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

दान…

अपने तेल-मालिश वाले नेताजी को लेकर भ्रम फैला हुआ है। कोठी के गलियारों से भंडार संचालकों के बीच में। भ्रम यह है कि वह कभी भी किसी पर दया नहीं दिखाते हैं। केवल अपने मतलब पर ही दया भाव दिखाते हैं। मुहावरे की भाषा में यह तक बोला जाता है कि…वह खून चूस लेते हैं। मगर अभी हाल ही में एक तस्वीर सामने आई है। जिसमें अपने तेल-मालिश वाले नेताजी खून दान करते हुए नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर को देखने के बाद कोठी से लेकर भंडार संचालक तक सभी चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

साधुवाद…

अपने मंद-मुस्कान जी ने आखिर चिंता पाल ही ली। आखिरकार कैसे शिवाजी भवन की आवक बढ़ाई जाये। तभी तो जो संपत्तिकर ऑन और ऑफ लाइन बंद था। पिछले सप्ताह चिंता शीर्षक से छपते ही, अपने मंद-मुस्कान जी ने उसकी चिंता करनी शुरू कर दी। नतीजा 2 दिन के अंदर ही प्रक्रिया शुरू हो गई। ऑन और ऑफ लाइन संपत्तिकर जमा किया जा सकता है। जिसके लिए अपने मंद-मुस्कान जी को साधुवाद देते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

भारी…

अपने उम्मीद जी के आदेश को नकारने की हिम्मत किसी में नहीं हो सकती है। मगर कोठी के एक बाबू ने यह हिम्मत दिखाई है। तभी तो कोठी के गलियारों में यह चर्चा है कि…अपने उम्मीद जी के आदेश पर, एक बाबू भारी पड़ रहा है। मामला चार्ज देने का है। भू-अर्जन शाखा में फेरबदल का आदेश फरवरी माह में अपने उम्मीद जी ने निकाला था। तब से 4 महीने होने वाले है। बाबू आदेश मानने को तैयार नहीं है। इसके पीछे कारण अपने दिव्यकेशधारी बताये जा रहे हैं। जिनका संरक्षण बाबू को है। चार्ज देने को लेकर एक बार फिर पत्र लिखा जा चुका है। अपनी छुई-मुई मैडम द्वारा। इसके बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ है। यही वजह है कि कोठी के गलियारों में चर्चा है कि अपने उम्मीद जी के आदेश पर एक बाबू भारी है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

कांड…

पिछले साल कोरोना 2020 में एक कांड हुआ था। परिवहन दलाली कांड। खूब हंगामा मचा था। अपने उम्मीद जी ने भुगतान भी रुकवा दिया था। मगर बाद में धीरे-धीरे पूरा भुगतान भी हो गया और मामला भी शांत हो गया। अब एक नया कांड सामने आया है। डीजल कांड। 63 देयकों का भुगतान होना था। मगर केवल 14 का भुगतान किया गया। नियमानुसार डीजल का भुगतान काटकर, मालिकों को भुगतान करना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डीजल सहित भुगतान कर दिया। राहत शाखा द्वारा। जिसकी चर्चा कोठी से लेकर जिला पंचायत के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन सबकुछ जानकर, सभी इस कांड को लेकर चुप है। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

डिमांड…

अपने तीनों कमलप्रेमी नेता, विकास पुरुष-वजनदार और पहलवान बहुत कम मुद्दे पर एकमत होते हैं। मगर आज अपने मामाजी की वीसी में तीनों एकमत नजर आये। विषय था शादी। जिसमें 100 लोगों के शामिल होने की छूट की डिमांड करते दिखे। जबकि अपने मामाजी यह बोल चुके हंै कि…किसी भी राजनीतिक या अन्य कार्यक्रम में 6 से ज्यादा की भीड़ नहीं होना चाहिये। इसके बाद भी 100 की डिमांड की गई। इन तीनों की अनोखी मांग पर अपने मामाजी ने चुप्पी साध ली। तो हम कौन होते हंै। फटे में टांग अड़ाने वाले। हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मोनोलॉग…

अंग्रेजी भाषा के इस शब्द का अर्थ है। एकालाप। मतलब एक ही बात को रिकार्ड कैसेट की तरह सुनाना। इन दिनों अपने मामाजी की वीसी में यही हो रहा है। अपने मामाजी किसी की भी नहीं सुनते हुए, केवल एकालाप अलाप रहे है। बेचारे…प्रशासनिक अधिकारी इस एकालाप को सुनकर अपना मत्था ठोक रहे हैं। मगर किसको बोले-किसको सुनायें। अपने दिल की पीड़ा को। इसलिए चुप हैं। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

पर्दा…

बहुत चर्चित कव्वाली है। पर्दा है-पर्दा। मगर हमारी निगाहे हमेशा पर्दे के पीछे कौन है? इसको लेकर खोजबीन करती रहती है। जैसे…मां चामुंडा की नगरी में हुए सेक्स रैकेट कांड को लेकर। जिसको लेकर हमने पिछले सप्ताह होटल शीर्षक से लिखा था। जिसमें इशारा था कि…इस होटल के मालिक पर्दे के पीछे 2 वर्दीधारी राजपत्रित अधिकारी है। जिसके बाद एक फोन आया। जिसमें वर्दीधारी अधिकारी ने बताया कि…अब उनका इस होटल से कोई नाता नहीं है। जहां रैकेट पकड़ाया था। 10 महीने पहले ही सबकुछ खत्म हो गया है। इधर वर्दीवालो में चर्चा है कि…भले ही धीरज और विजय इस मामले में पर्दे के आगे है, लेकिन असलियत यही है कि…पर्दे के पीछे आज भी वर्दी है। अब सच क्या है और झूठ क्या है। इसका फैसला हमारे समझदार पाठक खुद कर लें। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप रहना है।

चलते-चलते…

राजधानी के विश्वसनीय सूत्रों से खबर मिली है कि इस सप्ताह प्रशासनिक सर्जरी की प्रबल संभावना है। इसके पीछे कारण, अपने मामाजी की 2 दिन की हिल-स्टेशन यात्रा को बताया जा रहा है। जहां पर अपने मामाजी ने चिंतन-मनन कर लिया है। अब देखना यह है कि प्रशासनिक सर्जरी होती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

-प्रशांत अंजाना

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