कोरोना की इस भीषण त्रासदी ने उज्जैन शहर के एक सरस्वती पुत्र, ज्ञान के साधक 89 वर्षीय प्रकाश उप्पल जी को हम सबसे छीन लिया। 4 सितम्बर 1932 को जन्मे प्रकाश उप्पल जी प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे परंतु वीणापाणि का आशीर्वाद होने से नौकरी के साथ उन्होंने साहित्य […]

माँ पर लिखने के लिए मैंने ज्यों ही कलम उठायी प्रथम पूज्य आराध्य गजानन, तुम्हारी ही याद आयी ज्यों तुमने संपूर्ण सृष्टि को माँ का पर्याय बताया उससे बेहतर माँ को कोई समझ ना पाया विनीता मोटवानी की उपरोक्त पंक्तियां माँं के सम्मान में संक्षिप्त में सब कुछ कह गयी। […]

पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसानों और जाटों के दिलों पर एकछत्र राज करने वाले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के बेटे 83 वर्षीय चौधरी अजीत सिंह ने गुरुग्राम के आर्टिमस अस्पताल में अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कर दिया। 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला […]

भारतीय जनता पार्टी द्वारा क्या देश की अस्मिता के प्रतीक प्रभु श्रीराम की भक्ति में कहीं कोई चूक हो गयी है? क्या मोदीजी की लोकप्रियता का जादू जो कुछ समय पहले तक भारतीयों के सिर चढक़र बोल रहा था वह उतर गया है? क्या मोदीजी की लोकप्रियता का चरम गुजर […]

सृष्टि के सृजक श्री ‘हरि विष्णु’ ने सृष्टि का सृजन कर इसके संचालन का दायित्व श्री ‘ब्रह्मा’ जी को सौंपा और संहार का कार्य ‘शिव’ को। यदि सृजन होगा तो संहार भी जरूरी है तभी पृथ्वी पर संतुलन कायम रहेगा। यदि सिर्फ सृजन ही होता रहा तो पृथ्वी पर भार […]

देश के 5 राज्यों की विधानसभा चुनावों के परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिये निराशाजनक ही कहा जाना उचित होगा। बंगाल में वह ममता बेनर्जी के अंगद की तरह जमें पैरों को हिला भी नहीं पायी, केरल में वह अपना खाता भी नहीं खोल पायी और तो और वहाँ की […]

अप्रैल माह की आखिरी तारीख पत्रकार जगत के लिये मनहूस साबित हुयी। इलेक्ट्रानिक मीडिया से आज तक के एंकर 42 वर्षीय रोहित सरदाना को हमने खो दिया। आज तक के न्यूज एंकर, पत्रकार, कॉलोम्निस्ट, एडिटर और मीडिया जगत की जानी-मानी हस्ती रोहित सरदाना को 24 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने […]

अयं निज: परोवेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। अर्थ- यह अपना बंधु है, और यह अपना बंधु नहीं है। इस तरह की मानसिकता छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार ह्रदय वाले लोगों की तो सम्पूर्ण धरती ही परिवार है। वसुधैव कुटुम्बकम्, सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा […]

हमारे हिंदू धर्म पौराणिक ग्रंथ बताते हैं कि देव और दानवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था। मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकी नाग को नेती बनाया गया था। स्वयं भगवान विष्णु कच्छप अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रखकर उसका आधार बन गये थे। भगवान नारायण […]

यह दुनिया एक रंगमंच ही तो है, जीव मानव रूप में आकर इस रंगमंच पर अपना-अपना रोल निभाता है। रंगमंच पर अपनी भूमिका निभा रही कठपुतलियों रूपी मानव की डोर ईश्वर के हाथ में ही है। कब, किसे, किस तरह और कितने समय की भूमिका निभाना है यह सिर्फ ऊपर […]