हम चुप रहेंगे

-प्रशांत अंजाना

अवेहलना…

इस जिले के सबसे टॉप बॉस अपने उम्मीद जी है। जिनके आदेश की अवेहलना करने की हिम्मत किसी में नहीं है। मगर उनके आदेश की भी अवेहलना करने वाले एक अधिकारी है। जिनको हम नीली फिल्मों के शौकीन डॉ. के नाम से जानते हैं। पाठकों को याद होगा। जनसुनवाई का मामला था। एक बार देरी से पहुंचे। अपने उम्मीद जी ने चेतावनी देकर छोड़ दिया। दूसरी बार फिर ऐसा हुआ। इस बार उम्मीद जी ने मीडिया के सामने बोल दिया। 1 दिन का वेतन काटा जाये। आदेश भी निकल गया। मगर चरक के गलियारों में चर्चा है। जनवरी में 1 दिन का वेतन नहीं कटा। नीली फिल्मों के शौकीन डॉ. को पूरा वेतन मिला। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो इस अवेहलना पर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

नाराज…

कमलप्रेमी फायर ब्रांड नेत्री हमेशा शिवरात्रि पर आती है। विवाद भी होता है। मगर इस बार विवाद मंदिर के बदले विश्राम गृह पर हुआ। जिसके चलते नाराज हो गई और चेतावनी देकर गई। दरअसल हर साल फायर ब्रांड नेत्री को गंभीर कक्ष में ठहराया जाता है। उनका वाहन वहीं जाकर रूक गया। लेकिन इस बार व्यवस्था कक्ष क्रमांक 1 में थी। उनका वाहन रुकते ही कक्ष बताने के लिए कर्मचारी भागे। बस फिर क्या था। फायर ब्रांड नेत्री नाराज हो गई और जाते-जाते बोल गई। अब जब भी आऊंगी-कक्ष क्रमांक 1 में ही रुकूंगी, वरना गाड़ी नहीं रुकेगी। उनकी इस नाराजगी के आगे फिलहाल तो प्रशासन चुप हैं। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

भगाया…

शिवरात्रि पर्व पर मंदिर में हथियार लेकर पहुंचे कमलप्रेमी नेता जी का मामला तो उजागर हो चुका है। मगर ऐसी ही एक घटना और हुई थी। चारधाम मंदिर पर। जहां पर स्व-घोषित गऊ-माता के संरक्षक नेता जी पहुंचे थे। अपना निजी अंगरक्षक लेकर। जिद थी कि अंगरक्षक के साथ अंदर जायेंगे। दर्शन करेंगे। सबको दिखना चाहिये। कोई वीआईपी आया है। मगर उनका पाला अपने लिटिल मास्टर से पड़ गया। जो बोलते तो विनम्रशैली में हैं। लेकिन एक्शन लेने में सख्त हो जाते हैं। उन्होंने सीधी भाषा में समझा दिया। अंगरक्षक बाहर-नेताजी अंदर जा सकते हैं। गऊ- माता संरक्षक नेताजी को बात समझ में आ गई। अकेले दर्शन किये-बाहर निकले-अंगरक्षक के साथ चुपचाप निकल गये। तो हम भी उनकी इस समझदारी पर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

खरी-खरी…

वर्दीवाले एक राजपत्रित अधिकारी हैं। परिवहन के मामले में उनके बगैर पत्ता नहीं हिलता है। शहर की सबसे चर्चित ट्रेवल्स एजेंसी में पार्टनर भी हंै। पर्दे के पीछे। परिवहन दलाली कांड में उन्होंने ही अपने संचालक मोहरे को बचाया था। उन्हीं की यह घटना है। एक युवा कमलप्रेमी नेता ने उनको फोन लगाया। किसी कमलप्रेमी की गाड़ी पकड़ा गई थी। पहले अपना परिचय दिया। फिर गाड़ी छोडऩे का आग्रह किया। मगर वर्दीवाले अधिकारी ने उनको टाल दिया। बस…फिर क्या था। मामाजी के भाषण की हूबहू नकल उतारने वाले युवा नेता ने फोन पर ही अधिकारी की लू उतार दी। अवैध कमाई से खरीदे गये होटल का भी जिक्र कर दिया। युवा नेता की यह खरी-खरी सुनने के बाद राजपत्रित वर्दीधारी चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

अखबार …

नेता बनने के लिए अखबार या चैनल पर कब्जा होना जरूरी है। ताकि नेताजी खुद का स्तुतिगान करवा सकें। अपने विकास पुरुष ने तो यह कदम बहुत पहले उठा लिया था। मगर अब अपने वजनदार जी भी इस श्रेणी में शामिल हो गये हैं। तभी तो उनके राइटहेंड अब एक अखबार लेकर आ गये हैं। सबकुछ सेटअप जम गया है। बस देखना यह है कि हरी धरती में प्रशासन की पोल खोलने का अभियान कब से शुरू होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

गायब…

महाकाल के परमभक्त अपने 2 नम्बरी इंदौरी नेताजी का इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर नजर नहीं आना, आश्चर्यजनक है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि पर्व पर उनका आना तय रहता है। सभी को पता भी चल जाता है। मगर इस बार किसी की भी नजर में आये बगैर वह दर्शन करके चुपचाप निकल गये। रात 2 से 3 के बीच उनका चुपचाप आगमन हुआ। वीआईपी गेट पर अपने उम्मीद जी, कप्तान और अवसरवादी पुजारी इंतजार कर रहे थे। गाड़ी से उतरे और फटाफट मंदिर में पहुंच गये। गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाया और रवाना हो गये। किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई और जिनको पता है, वह चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

फरमान…

हाकिम का था फरमान/ मास्क जो नहीं लगायेगा/200 रुपये का दंड/उस पर ठोका जायेगा। अपने नरों में इंद्र ने यह फरमान शनिवार को दिया था। रविवार की सुबह से लागू हो गया। मगर, इस तस्वीर को देखिए- और फिर खुद ही सोचिए। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

जिद…

अपने पहलवान ने जिद पकड़ ली है। अपने ढीला-मानुष से। जिद यह है कि मेरी पसंद से एक महामंत्री बनाओ। इस पद के लिए उनकी पसंद एक भद्रजन है। जिन्होंने कोरोना काल में जमकर सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई थी। वीडी मार्केट के इस भद्रजन पर पहलवान मेहरबान है। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे हैं। अब देखना यह है कि अपने ढीला-मानुष पहलवान की पसंद को कितनी तवज्जो देते हंै। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

फार्म…

भले ही अपने चरणलाल जी ने संगठन के नियमों को नहीं माना है। प्रथम नागरिक के लिए फार्म भरकर दावेदारी नहीं की। मगर इंदौरी गुड्डू जी संगठन के पदचिन्हों पर चल रहे है।ं उन्होंने भी पंजाप्रेमी मुख्यालय से फार्म मंगवाया है। अपने साहबजादे के नाम पर। जिसका मतलब साफ है कि प्रथम नागरिक के लिए पंजाप्रेमियों में एक और दावेदार तैयार है। देखना यह है कि शहर के पंजाप्रेमी दल बदलू नेताजी को कितनी तवज्जो देते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

लोकार्पण…

इस शब्द का मतलब तो हमारे पाठक समझते हैं। खुशी-उत्साह-उमंग से जुड़ा होता है लोकार्पण। नेता अपना स्तुतिगान करके और जनता सौगात मिलने पर खुश होती है। मगर 4 दिन पहले हुए लोकार्पण में यह सब गायब था। मामला अलकापुरी का है। जहां टंकी के लोकार्पण करने अपने विकास पुरुष पहुंचे थे। मगर बाकी कमलप्रेमी नेता, वजनदार जी, पहलवान, प्रथम महोदया और स्थानीय नगरसेवक गायब थे। इनका गायब होना तो राजनीतिक विवाद हो सकता है, लेकिन क्षेत्र की जनता भी गायब थी। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। अब ऐसा क्यों हुआ- किसके इशारे पर हुआ- इसको लेकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

सवाल…

कल्पना कीजिए जरा…महाशिवरात्रि पर्व की भीड़ में…कोई आम इंसान हथियार लेकर घुस जाता? तो क्या होता। वर्दीवाले उसके साथ क्या करते? भले ही आम इंसान के पास हथियार का लायसेंस होता। उस पर किसी ना किसी धारा में प्रकरण तो दर्ज होना पक्का था। मगर, कमलप्रेमी नेताजी हथियार के साथ गये, तो प्रकरण दर्ज होना तो दूर की बात, किसी ने उनसे सवाल तक नहीं किया। इसे बोलते हैं… लोकतांत्रिक व्यवस्था। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

चलते-चलते…

जिले के एक अधिकारी अब फ्री होने वाले हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि उनका तबादला हो रहा है। हम नरों में इंद्र की बात कर रहे हैं। वह अगले महीने के प्रथम सप्ताह रवाना होंगे। पूरे 45 दिन के लिए। 15 मई बाद ही वापसी होगी। प्रशिक्षण पर जा रहे हैं। देखना यह है कि उनकी जगह अपने उम्मीद जी किसको जवाबदारी सौंपते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

 

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