हम चूप रहेंगे (17 मई 2021)

हवा में…

अपने वजनदार जी, इन दिनों हवा में उड़ रहे हैं। वैक्सीन वाले मामले में। उस उनका जवाब भी पलटवार जैसा है। कोई पाप नहीं किया है। वह बिलकुल सही कह रहे हंै। पाप तो हम जनता ने किया है। जो उनको चुना-इस काबिल बनाया। इस विश्वास के साथ कि…वह पहले जनता के लिए सोचेंगे-फिर अपनो के लिए। मगर काबिल बनाते ही जनता के साथ उल्टा हो रहा है। उस पर तुर्रा यह है कि…हम सब पॉजीटिव के पास जाते हैं। अरे…कौन निमंत्रण देता है। ऐसा करने के लिए। प्रशासन तो बुलाता नहीं है। आप खुद छपास रोग के कारण जाते हो। यही वजह है कि कमलप्रेमी इन दिनों शायरा शाबाना अदीब का अशआर गुनगुना रहे हंै। जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा/ जो आकर बैठे हो पहली सफ में/ अभी से उडऩे लगे हवा में/ अभी तो शोहरत नई-नई है। बाकी तो हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सजा…

इस दौर-ए-मुंसिफी में जरूरी नहीं वसीम/जिस शख्स की खता हो, उसी को सजा मिले। यह अशआर इन दिनों कमलप्रेमी गुनगुना रहे हैं। जिनका इशारा अपने नीली फिल्मों के शौकीन डॉ. साहब की तरफ है। जिनका वीडियो अभी हाल ही में वायरल हुआ है। जिसमें वह अपने निजी क्लीनिक पर प्रेक्टिस करते नजर आ रहे है। जबकि उन्हीं का आदेश था। सरकारी डॉ. निजी प्रेक्टिस नहीं करे। मगर वह खुद कर रहे थे। यही सवाल हर कमलप्रेमी को खटक रहा है। अंदरखाने की खबर है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। आखिर तेल मालिश वाले नेताजी का वरदहस्त है और फुलपेंटधारियों का अघोषित समर्थन। ऐसे में अगर कमलप्रेमी शायर वसीम के अशआर को याद कर रहे हैं तो क्या गलत है। बात 16 आना सच है। नीली फिल्मों के शौकीन को कोई सजा नहीं मिलने वाली। इसलिए सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आम…

शीर्षक पढक़र यह नहीं समझे कि हम आम जनता की बात कर रहे है। हम तो मौसम के राजा उस आम की बात कर रहे हैं। जिसे लेकर किसी शायर ने कहा है कि…मोहब्बत है हमको हसीनाओं से/ दिल उनसे प्यार करता है/आम यह तेरी खुशनसीबी है/वरना लंगड़े पर कौन मरता है। इस आम शब्द को लेकर उत्तरकार्य कराने वाले पंडितों में तरह-तरह की चर्चा है। घटना वर्दी से जुड़ी हुई है। जिसने पिछले सप्ताह उत्तरकार्य कराने वालो के घर दबिश दी थी। यह दबिश किसके इशारे पर हुई। इसी को लेकर दबी जुबान में आम का नाम आ रहा है। उत्तरकार्य कराने वालो में चर्चा है कि…आम के सरनेम से चर्चित नेताजी के इशारे पर यह दबिश हुई थी। अब बात सच है या झूठ। इसका फैसला उत्तरकार्य कराने वाले खुद कर लें। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप रहना है।

जलन…

वो मुझसे इस कदर जलन रखता है/मेरे अच्छे कामों पर भी बुरी नजर रखता है। यह लाइन किसी शायर की नहीं है। बस अपने फितरती दिमाग की उपज है। जो कि कमलप्रेमी संगठन की एक प्रेस विज्ञप्ति के कारण लिखने में आ गई। इसके पीछे कारण अपने चरणलाल जी के लिए जारी की गई विज्ञप्ति है। जो अपने लेटरबाज जी के नाम से जारी हुई थी। मगर पर्दे के पीछे अपने वजनदार जी हैं। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे हैं। तभी तो चरणलाल की बढ़ती प्रतिष्ठा को लेकर, संगठन से विज्ञप्ति जारी हो गई। जबकि आम तौर पर ऐसा होते देखा नहीं है। विरोधी की प्रतिष्ठा को लेकर तो कतई नहीं। यही वजह है कि कमलप्रेमियों में यह चर्चा जोरों पर है कि…आज कल अपने वजनदार जी जलन के शिकार हो रहे हंै। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

कहानी…

शीर्षक पढक़र कतई नहीं सोचे। हम कोई कहानी लिख रहे हैं। बल्कि हम तो अपने कहानीलाल जी की बात कर रहे हैं। जो कि कमलप्रेमियों की युवा इकाई के मुखिया है। जिन्होंने वर्चुअल बैठक में अनाप-शनाप-मनघड़ंत कहानी सुना दी। भाई साहब…हम यह कर रहे हैं-हम वह कर रहे हैं। हमने यह कर दिया-हमने वह कर दिया। मगर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। युवा इकाई कोरोना मोर्चे पर पूरी तरह फेल रही है। यह बाते खुद युवा इकाई में सुनाई दे रही है। मगर अपने कहानीलाल जी की कहानी ने ऊपर वालों को संतुष्ट कर दिया है। नतीजा निचले स्तर पर उनकी कहानी चर्चा का विषय बन गई है। जिसमें हम क्या कर सकते हंै। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

तीसरी लहर…

कोरोना की दूसरी लहर ने ही कोहराम मचा दिया है। आम जनता त्रस्त है। जबकि अस्पताल वालो के तो भाग्य खुल गये हंै। लक्ष्मी दिन-रात बरस रही है। जब दूसरी लहर में यह हाल है तो तीसरी लहर में तांडव की कल्पना ही की जा सकती है। इस तीसरी लहर के पहले, तीन बत्ती चौराहे पर एक नया अस्पताल बनकर तैयार होने वाला है। वजह…जब सब अंधाधुंध कमा रहे हैं तो अपने विकास पुरुष कैसे पीछे रह सकते हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि कमलपे्रमी बोल रहे हंै। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

किस्मत…

राजनीति में किस्मत का भी बहुत योगदान होता है। भरोसा नहीं हमारी बात पर। तो अपने चरणलाल जी की किस्मत का जोर देखिए। अभी तक चरणलाल जी को घेरने के लिए कमलप्रेमी रणनीति बना रहे थे। बोला जा रहा था कि…सरकारी माल को, चरणलाल जी अपना बताकर, झूठी वाही-वाही लूट रहे हैं। मगर किस्मत देखिए चरणलाल जी की। इसी समय वैक्सीन कांड उजागर हो गया। चरणलाल जी ने अपनी किस्मत का फायदा उठाने में देर नहीं की। वह उल्टे वैक्सीन कांड को लेकर चढ़ाई कर बैठे। नतीजा कमलप्रेमी अपने चरणलाल जी की किस्मत को लेकर रश्क कर रहे हैं। बात सही भी है। मगर, हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

चतुराई…

कोई कांड उजागर होने के बाद, धैर्य बनाये रखना और कांड को दबा देना। यह अगर सीखना है तो अपने विकास पुरुष से सीखा जा सकता है। जैसे उन्होंने माधव नगर प्रतिनिधि कांड को सुलझाया। कांड उजागर होते ही अपने विकास पुरुष 3 दिन तक सर्किट हाऊस पर बैठे। जहां बैठकर सफेद कोटधारियों को टाइम-टाइम पर बुलाया गया। प्रतिनिधि कांड का सच-झूठ समझा और सभी को नसीहत दी। नतीजा प्रतिनिधि कांड अब भूतकाल बन गया है। इसे कहते हंै चतुराई। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे हैं। लेकिन हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कुंडली…

हमारी जन्मकुंडली में कई प्रकार के दोष होते हैं। जिनके लिए हम समय-समय पर दोष-निवारण की पूजा करवाते रहते हंै। लेकिन अपने विकास पुरुष, पहलवान और वजनदार जी की कुंडली में इन दिनों प्रतिनिधि दोष चल रहा है। जिसके चगुंल में सबसे पहले विकास पुरुष लपेटे में आये। उसके बाद पहलवान के प्रतिनिधि ने कर्मचारी की पिटाई कर दी। अब ताजा-ताजा प्रतिनिधि दोष के शिकार अपने वजनदार जी हो गये हंंै। वैक्सीन कांड में। कमलप्रेमी बोल रहे हैं कि…इन सभी को अपनी कुंडली दिखवाना चाहिये, वरना प्रतिनिधि दोष इनकी पूरी इज्जत मिटा सकता है। अब फैसला उनको करना है। जिनकी कुंडली में यह प्रतिनिधि दोष है। हमको तो बस आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कारण…

कभी-कभार हम जिंदगी में कुछ ऐसा गलत कर जाते हैं। जिसका कारण भी बताते हुए शर्म आती है। जैसे कि इन दिनों एक पूर्व कमंडल के मुखिया को आ रही है। तभी तो वह सोशल मीडिया पर मैसेज भेज रहे है। किसी कारण से में ग्रुप से लेफ्ट हो गया था। कृपया करके मुझे ऐड कर लिया जाये। ऐसे संदेश इन दिनों कमलप्रेमियों को मिल रहे हंै। जिसे पढक़र सभी आश्चर्यचकित है। क्योंकि सभी को वह कारण पता है। कमंडल के मुखिया क्यों लेफ्ट हुए थे। एक फोटो ग्राफर के आत्महत्या कांड में आरोपी थे। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से अभी-अभी बाहर आये है और मैसेज डाल रहे है। देखना यह है कि कौन-कौन कमलप्रेमी उनको ऐड करता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गुजारिश…

रात-दिन मुस्तक्किल कोशिशें/ जिंदगी कैसे बेहतर बने/ इतने दु:ख जिंदगी के लिए/और इसी का भरोसा नहीं…। इसलिए गुजारिश है कि…घर में रहे…जरूरी होने पर ही निकले- मास्क लगाये- दो गज की दूरी बनाकर रखे।

-प्रशांत अंजाना

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