हम चुप रहेंगे (21 जून 2021)

बंद…

अपने उम्मीद जी की एक अच्छी आदत है। वह बंद कमरे की बैठक या मुलाकात करने से बचते हैं। इसलिए उनके ऑफिस का दरवाजा हमेशा आधा खुला रहता है। मगर पिछले सप्ताह इसके उलट हो गया। कमलप्रेमी व मीडिया में चुगलखोर के नाम से चर्चित एक कमलप्रेमी मिलने गये थे। अंदर गये तो दरवाजा बंद हो गया। काफी देर तक बंद रहा। बाहर जनता इंतजार कर रही थी। फूलपेंटधारियों के नाम पर यह चुगलखोर हमेशा से…भाईसाहब ने बोला है…बोलकर रौब गांठता है। जबकि इसकी हकीकत यह है कि रेडक्रास संस्था में भी अमानत में खयानत कर चुका है। इसके बाद भी अपने उम्मीद जी भाव देते हैं। तो हम कौन होते हैं रोकने वाले। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

धंधा…

एक नगर सेवक का धंधा इन दिनों खूब चमक रहा है। बड़ा सीधा- सरल और साफ धंधा है। किसी का भी मकान अपने क्षेत्र में निर्माण होते देख, यह वहां पर पहुंच जाते हैं। नियम-कायदों की दुहाई देते हैं। आखिरकार में सडक़ का हवाला देकर मुद्दे की बात पर आ जाते हंै। 10 हजारी डिमांड होती है। कोई भी नागरिक विवाद नहीं चाहता है। इसलिए यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। ऐसी कमलप्रेमियों के बीच चर्चा है। जो नगर सेवक इस धंधे में मशगूल हंै। वह आगर रोड के नगर सेवक बताये जा रहे हंै। अब हम इस धंधे को रोक तो नहीं सकते है, इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

बीमार…

अपने कप्तान साहब बीमार हो गये हैं। वह भी गंभीर। हार्ट-सर्जरी करवानी है। ऐसा हम नहीं बोल रहे हैं। बल्कि खुद सरकारी सोशल मीडिया ग्रुप में यह संदेश डाला गया है। सीधे लिखा गया है। कप्तान साहब की हार्ट-सर्जरी गुरुवार को इंदौर में होना है। इसलिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट करवाना है। इस संदेश से खलबली मचना स्वभाविक था। आखिर सेम्पलिंग टीम कोविड उज्जैन पर यह संदेश था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कप्तान पूरी तरह स्वस्थ्य हंै। शाम को टेनिस भी खेल रहे हैं। फिर भी उनकी बीमारी की खबर फैलाई जा रही है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

गोपनीय…

पंजाप्रेमी एक आंदोलन करने के मूड में हैं। जिसके लिए एक गोपनीय बैठक हुई। 22 पंजाप्रेमियों को बुलाया था, मगर 17 ही पहुंचे। बिरयानी नेताजी और कामरेड की रणनीति थी। कमल सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाये। मतलब यह है कि…जेल भरो आंदोलन की तैयारी थी। जिसके लिए भीड़ लगती है। इसलिए बैठक गोपनीय बुलाई थी। मगर अपने चरणलाल जी रणनीति समझ गये। उन्होंने बहाना बनाकर दूरी बना ली। बदबू वाले शहर के पंजाप्रेमी दरबार ने भी बीमारी का बहाना बना दिया।

17 वरिष्ठों में दमदमा के बुर्जुग नेता भी पहुंचे थे। जो अब चल फिर नहीं सकते हंै। फिर भी गये और बोलकर चले गये। अब इस उम्र में मेरा पंजाप्रेमियों से क्या लेना-देना। पंजाप्रेमी बोल रहे हैं कि गोपनीय बैठक की आड़ में यह चाल थी। अगर अच्छी भीड़ लाने का वादा मिल जाता, तो श्रेय लेने तत्काल बिरयानी नेता और कामरेड राजधानी पहुंचे जाते।

इस चाल को सभी ने समझ लिया। नतीजा आम रस के साथ पराठे खाकर बैठक खत्म हो गई और जेल भरो आंदोलन फिलहाल टांय-टांय फिस्स नजर हो गया है और सभी चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

शिकायत…

एक बार फिर बात पंजाप्रेमियों की गोपनीय बैठक से जुड़ी है। जिसमें दाल-बिस्किट तहसील के पंजाप्रेमी पहलवान शामिल हुए थे। जहां उन्होंने अपना आक्रोश दिखाते हुए शिकायत दर्ज कराई। अंदरखाने की खबर है कि पहलवान, शहर पंजाप्रेमी संस्था से नाराज है। कारण सभी को पता है। जिस पंजाप्रेमी नेत्री ने उनके साहबजादे पर मुकदमा दर्ज करवा दिया, उसका स्वागत शहर के पंजाप्रेमी जोरदार कर रहे हंै। अपने पहलवान की शिकायत वाजिब थी। जिसे सुनकर सभी चुप रह गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मुफ्त…

नेता किसी भी पार्टी में रहे। कमलप्रेमी या पंजाप्रेमी। वह हमेशा मुफ्त की जुगाड़ तलाश करता है। तब पार्टी का मोह छूट जाता है। जैसे अपने मंगलनाथ वाले बाबा का मोह छूट गया। ताजा-ताजा कमलप्रेमी बने है। अब प्रदेश समिति में स्थान भी मिल गया है। तो इस खुशी में पार्टी तो बनती थी।

मगर स्थान की जरूरत थी। इसलिए पुराने पंजाप्रेमी साथी की याद आई। फोन लगाकर, उससे गार्डन खुलवा लिया। 50 लोगों के लिए दाल-बाटी बनवाई। मगर आये केवल 25 ही। अब इस मुफ्त की चर्चा पंजाप्रेमियों में खूब सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

वादा…

अपने विकास पुरुष ने वादा कर लिया है। अपने नीली फिल्मों के शौकीन से। वादा यह किया है कि…अगले माह उनके लिए नोटशीट लिख दी जायेगी। वजह…अगस्त के अंत में अपने नीली फिल्मों के शौकीन की शासकीय यात्रा पर विराम लगने वाला है।

जबकि नीली फिल्मों के शौकीन अभी कुछ और समय शासकीय सेवा करने के मूड़ में हैं। इसलिए विकास पुरुष से सेटिंग जमा ली है। इधर चरक के गलियारों में यह चर्चा है कि…पिछले दिनों नीली फिल्म के शौकीन साहब का तबादला भी विकास पुरुष के इशारे पर रुका था।

बहरहाल चर्चा है और चर्चा का क्या कर सकते हैं। अब देखना यह है कि विकास पुरुष वादा निभाते हंै या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

सवाल…

भविष्य में नगर विकास योजना का स्वरूप कैसा होगा? यह सवाल आज की तारीख में शहरवासियों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। मगर, अपने तीनों माननीय इस विषय पर कुल्हड में गुड़ फोडऩे की तैयारी में है। तभी तो शनिवार को एक बैठक हो गई।

बिलकुल गोपनीय तरीके से। जिसमें अपने विकास पुरुष, वजनदार जी, पहलवान, उम्मीदजी और नगर विकास के मुखिया शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस बैठक में क्या-क्या निर्णय लिये-क्या परिवर्तन किये गये-किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई है।

बैठक के बाद, इसमें शामिल सभी इस विषय पर चुप है। कोई प्रेसनोट भी जारी नहीं किया गया। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

भय…

अपने तुलसी बाबा हजारों साल पहले लिख गये थे। भय बिन प्रीत न होये गुसांई। अब सवाल यह है कि भय दिखाने का कब-कहां-कैसे उपयोग किया जाये। इस मामले में हमने उम्मीद जी जैसा चतुर इंसान कभी भी नहीं देखा। अपनी लेखनी से ऐसा भय दिखाते है कि सबके होश ठिकाने आ जाते हैं। घटना शनिवार की है। सोमवार के वैक्सीनेशन को लेकर बैठक बुलाई थी।

अपने मंद-मुस्कान जी लेने वाले थे। सभी विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर को बुलाया था। 49 के बदले केवल 14 ही आये। इन सभी की ड्यूटी वैक्सीनकरण में लगनी थी। यह खबर अपने उम्मीद जी तक पहुंची। बस फिर क्या था। अपने उम्मीद जी ने भय वाली नीति अपनाई।

दोपहर ढाई बजे सभी को हाजिर होने का आदेश ग्रुप में लिख दिया। यह भी लिखा कि जिला अधिकारियों के साथ हाजिर हो। इस संदेश ने काम कर दिया। सभी जिला अधिकारी व ऑपरेटर हाजिर हो गये। सांप भी मर गया-लाठी भी नहीं टूटी। जिसकी चर्चा अब कोठी के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको इससे क्या लेना-देना। हम तो सभी पाठकों से गुजारिश करते हंै कि…वह आज अपने नजदीक सेंटर पर जाकर वैक्सीन जरूर लगवायें। बाकी तो हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अटकी…

कमलप्रेमियों की नगर जिला इकाई की सूची एक बार फिर अटक गई है। अपने ढीला-मानुष ने तैयारी कर ली थी। मगर अपने वजनदार जी ने टंगड़ी फंसा दी। अपने ऋषिनगर वाले लाला के नाम को लेकर। इधर विकास पुरुष ने भी दबाव बना दिया। उदयन मार्ग निवासी बनियाजी को लेकर। अब 2 पाटन के बीच में अपने ढीला-मानुष फंस गये।

लेकिन कमलप्रेमी मुख्यालय के सामने हर्ष-फायर करने वाले युवा कमलप्रेमी का रास्ता पूरी तरह साफ है। वहीं…जिन पर 336 का प्रकरण दर्ज हुआ था। यह सारी लड़ाई महामंत्री पद के लिए है। अजा वर्ग के लिए पहलवान के समर्थक का नाम तय हो गया है। जिसका सीधा मतलब अपने आराधना प्रेमी की विदाई पक्की है।

अब देखना यह है कि अपने वजनदार जी पीछे कदम लेते है या अपने विकास पुरुष। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

अपील…

आज वैक्सीन जरूर लगवाये…
भले ही मंदिर-मजिस्द- गुरूद्वारे- चर्च ना जाये…

-प्रशांत अंजाना

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